गर्मी के साथ बढ़ता पानी संकट, देश के 91 बड़े जलाशयों में औसत से कम बचा है पानी

केंद्रीय जल आयोग की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक देश के 91 बड़े जलाशयों में पानी कुल क्षमता का 22% बचा है जो पिछले साल के मुकाबले 15% कम है और पिछले दस साल के औसत से 10% कम है.

गर्मी के साथ बढ़ता पानी संकट, देश के 91 बड़े जलाशयों में औसत से कम बचा है पानी

नई दिल्‍ली:

देश के कई हिस्सों में गर्मी तेज़ी से बढ़ती जा रही है और बड़े जलाशयों में पानी का स्तर घटता जा रहा है. केंद्रीय जल आयोग की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक देश के बड़े जलाशयों में पानी का स्तर पिछले साल के मुकाबले औसतन 15% तक कम हो गया है. मॉनसून अब भी कई हफ्ते दूर है. महाराष्ट्र के ठाणे में के कई इलाकों में महिलाओं की मुश्किल अभी और बढ़ने वाली है. ठाणे के शाहपुर ब्लॉक के गई गांवों में पानी भरने के लिए महिलाएं अभी मीलों चलने को मजबूर हैं जबकि पानी कम होता जा रहा है. संकट महाराष्ट्र के ज़िलों तक ही नहीं, देश के बड़े हिस्से में है.

3 मई को जारी केंद्रीय जल आयोग की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक देश के 91 बड़े जलाशयों में पानी कुल क्षमता का 22% बचा है जो पिछले साल के मुकाबले 15% कम है और पिछले दस साल के औसत से 10% कम है. दक्षिण भारत के 31 जलाशयों में सिर्फ 14% पानी बचा है जबकि उत्तर भारत के 6 जलाशयों में सिर्फ 19% पानी बचा है. पश्चिमी भारत के बड़े जलाशयों में 22% पानी बचा है जो इस समय पिछले साल 27% था. पूर्वी भारत में जलाशयों की स्थिति कुछ अच्छी है. 3 मई तक वहां के जलाशयों में 34% पानी बचा था जो हालांकि पिछले साल के 41% के स्तर से कम है. जबकि मध्य भारत के बड़े जलाशयों में पानी का स्तर 27% है जो पिछले साल के 38% से 11% कम है.

केंद्रीय जल आयोग के चेयरमैन एस मसूद हुसैन ने एनडीटीवी से कहा, "राज्यों को हम अगले एक से दिन के अंदर एडवाइज़री भेजने वाले हैं कि वो पानी का इस्तेमाल काफी सोच समझकर करें. जिन राज्यों के जलाशयों में पानी काफी कम है उन्हें सिंचाई के लिए पानी कम मुहैया कराना चाहिये और पीने के पानी की सप्लाई के लिए ज़्यादा पानी मुहैया कराना चाहिये.

VIDEO: गर्मी बढ़ते ही देश में गहराया पानी का संकट

केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक पानी के गिरते स्तर के पीछे मुख्य वजह पिछले 2-3 साल में मॉनसून सीज़न के दौरान देश के कई हिस्सों में औसत से कम बारिश होना है. इसकी वजह से बड़े जलाशयों में पानी का स्तर मई के पहले हफ्ते में पिछले दस साल के औसत से भी कम हो गया है. साफ है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून सीज़न अब भी कई हफ्ते दूर है और प्रभावित राज्यों में संकट झेल रहे लोगों को राहत के लिए अभी इंतज़ार करना पड़ेगा. सवाल है क्या सरकारें इस राहत के लिए अभी से सक्रिय होंगी?


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