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This Article is From Sep 23, 2018

राफेल डील पर तमाम आरोप-प्रत्यारोपों के बीच दसाल्ट एविएशन के CEO का वीडियो सामने आया

राफेल डील को लेकर राहुल गांधी पीएम मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर जमकर हमला बोल रहे हैं.

राफेल डील पर तमाम आरोप-प्रत्यारोपों के बीच दसाल्ट एविएशन के CEO का वीडियो सामने आया
प्रतीकात्मक फोटो
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
राफेल डील से पहले का है वीडियो
राफेल डील पर राहुल गांधी पीएम मोदी पर कर रहे हैं हमला
बीजेपी भी राहुल पर कर रही है पलटवार
नई दिल्ली: राफेल डील को लेकर राहुल गांधी पीएम मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर जमकर हमला बोल रहे हैं. उनका कहना है कि इस डील में बहुत बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है. तो दूसरी तरफ बीजेपी भी राहुल गांधी के आरोपों पर पलटवार करने में पीछे नहीं है. राफेल डील पर तमाम आरोप-प्रत्यारोप के बीच फ्रांस में पीएम मोदी द्वारा राफेल डील करने से करीब 17 दिन पहले दसाल्ट के सीईओ एरिक ट्रैपियर का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह भारतीय वायुसेना प्रमुख और एचएएल अध्यक्ष की उपस्थिति में कह रहे हैं कि राफेल डील पर बातचीत अंतिम चरण में हैं और अनुबंध पर जल्द ही हस्ताक्षर हो जाएंगे.

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इस वीडियो में एरिक ट्रैपियर कह रहे हैं, “एक साथ भविष्य निर्माण की बात भी हमारे मन में है. प्रसिद्ध एमएमआरसीए कार्यक्रम और 2007 में जारी आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) के कारण हमें बड़ी सफलता मिली. साल 2012 में राफेल का चुनाव प्रतिस्पर्धा की मांग के बाद किया गया था. अब राफेल अगला तार्किक कदम है. उत्कृष्ट कार्य और कुछ चर्चा के बाद आप मेरी महान संतुष्टि को सुनने की कल्पना कर सकते हैं कि आईएएफ प्रमुख (इंडियन एयरफोर्स चीफ) एक ओर कॉम्बेट प्रूवेन एयरक्राफ्ट विमान चाहते हैं, जो राफेल हो सकता है, और हम इस पर हस्ताक्षर करेंगे क्योंकि अगला कदम तार्किक होना चाहिए. तो दूसरी तरफ एचएएल चेयरमैन कहते हैं कि इस प्रतियोगिता के नियमों के अनुरूप होने के लिए आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) के साथ अपनी जिम्मेदारियों को साझा करने और अनुपालन करने के लिए सहमत हैं. मुझे दृढ़ विश्वास है कि इस अनुबंध को अंतिम रूप जल्द दे दिया जाएगा और इस पर हस्ताक्षर भी जल्द हो जाएगा."

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राफेल डील पर पूरे देश में उस समय हंगामा मच गया जब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति  फ्रांस्वा ओलांद ने एक इंटरव्यू में बताया कि अनिल अंबानी के रिलायंस का नाम उन्हें भारत सरकार ने सुझाया था. उनके पास और कोई विकल्प नहीं था. ओलांद के खुलासे के बाद एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया. यूपीए सरकार जब पहली बार फ्रांस की कंपनी दसाल्ट एविएशन से राफेल विमानों की खरीद को लेकर बातचीत कर रही थी तभी हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटिड (HAL) और दसाल्ट के बीच भारत में इन जंगी विमानों के उत्पादन को लेकर ‘गंभीर मतभेद’ थे. सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी है. 

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बता दें कि अप्रैल 2015 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की यात्रा पर गए थे तब फ्रांस्वा ओलांद ही राष्ट्रपति थे. उन्हीं के साथ राफेल विमान का करार हुआ था.  

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