उज्जैन:
मध्य प्रदेश के उज्जैन में चल रहा सिंहस्थ महाकुंभ सदियों से जारी सामाजिक कुरीति के टूटने का गवाह बना। जब सैकड़ों साल से अछूत रहीं महिलाओं और वृंदावन से आईं विधवाओं ने यहां के रामघाट पर पंडितों के वेदमंत्रों के उच्चारण के बीच पवित्र क्षिप्रा नदी में स्नान किया।
सामाजिक बदलाव की इस शुरुआत पर यहां डुबकी लगाने आए श्रद्धालुओं ने जमकर स्वागत किया। इस अनूठे कार्यक्रम के प्रेरक जाने-माने समाजसेवी और सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक थे। इन महिलाओं के साथ उन्होंने भी पवित्र स्नान किया। इसके बाद इन महिलाओं ने वेदपाठी पंड़ितों के साथ भोजन भी किया।
गौरतलब है कि राजस्थान के अलवर से आईं ये महिलाएं वर्ष 2003 के पहले तक सिर पर मैला ढोती थीं, लेकिन सुलभ इंटरनेशनल की मदद से अब इन्होंने यह अपमानजनक कार्य छोड़ दिया है। अब ये दूसरे सम्मानजनक काम करके न सिर्फ अपने पैरों पर खड़ी हैं, बल्कि समाज में सिर उठाकर चल रही हैं।
वृंदावन से आईं विधवाएं भी वर्ष 2012 के पहले तक भीख मांगकर गुजारा कर रही थीं, लेकिन अब सुलभ से मिल रही मासिक पेंशन और ट्रेनिंग के चलते वे भी सम्मानित जिंदगी गुजार रही हैं।
सुलभ के प्रयासों से अब तक मनहूस समझी जाती रहीं ये विधवाएं होली-दीवाली भी उत्साह से मनातीं हैं।
सुलभ इंटरनेशनल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को कामयाब बनाने की दिशा में भी अभियान चला रखा रखा है। इसके तहत स्कूलों में शौचालय बनाए हैं। सुलभ सस्ती तकनीक वाले शौचालय के आविष्कार के लिए दुनियाभर में मशहूर है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
सामाजिक बदलाव की इस शुरुआत पर यहां डुबकी लगाने आए श्रद्धालुओं ने जमकर स्वागत किया। इस अनूठे कार्यक्रम के प्रेरक जाने-माने समाजसेवी और सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक थे। इन महिलाओं के साथ उन्होंने भी पवित्र स्नान किया। इसके बाद इन महिलाओं ने वेदपाठी पंड़ितों के साथ भोजन भी किया।
गौरतलब है कि राजस्थान के अलवर से आईं ये महिलाएं वर्ष 2003 के पहले तक सिर पर मैला ढोती थीं, लेकिन सुलभ इंटरनेशनल की मदद से अब इन्होंने यह अपमानजनक कार्य छोड़ दिया है। अब ये दूसरे सम्मानजनक काम करके न सिर्फ अपने पैरों पर खड़ी हैं, बल्कि समाज में सिर उठाकर चल रही हैं।
वृंदावन से आईं विधवाएं भी वर्ष 2012 के पहले तक भीख मांगकर गुजारा कर रही थीं, लेकिन अब सुलभ से मिल रही मासिक पेंशन और ट्रेनिंग के चलते वे भी सम्मानित जिंदगी गुजार रही हैं।
सुलभ के प्रयासों से अब तक मनहूस समझी जाती रहीं ये विधवाएं होली-दीवाली भी उत्साह से मनातीं हैं।
सुलभ इंटरनेशनल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को कामयाब बनाने की दिशा में भी अभियान चला रखा रखा है। इसके तहत स्कूलों में शौचालय बनाए हैं। सुलभ सस्ती तकनीक वाले शौचालय के आविष्कार के लिए दुनियाभर में मशहूर है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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