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This Article is From Apr 14, 2016

महाराष्ट्र के सूखे पर बोले नाना पाटेकर - अब चुप रहना अपराध होगा

महाराष्ट्र के सूखे पर बोले नाना पाटेकर - अब चुप रहना अपराध होगा
अहमदनगर (महाराष्ट्र): अभिनेता नाना पाटेकर बेहद भावुक व्यक्ति माने जाते हैं, लेकिन शायद ही किसी ने उनकी आंखों में आंसू देखे हों। महाराष्ट्र में पड़ रहे भीषण सूखे पर एनडीटीवी से बातचीत में उनकी आवाज में किसानों का दर्द साफ महसूस किया जा सकता है।

'किसान हैं कोई भिखारी नहीं'
अहमदनगर में इस अभिनेता ने कहा कि सूखा पीड़ित इलाकों से बड़े पैमाने पर लोगों का शहरों में पलायन हो रहा है। अगर कोई आपके कार की खिड़की पर आए तो उनसे भिखारियों जैसा व्यवहार नहीं करें। वे किसान हैं कोई भिखारी नहीं।' इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'वे मजबूर हैं। उन्हें  खाना, पानी और शौचालयों की जरूरत है। हमें ऐसे किसी एक की तो जिम्मेदारी उठानी चाहिए। यह मुश्किल नहीं।'

आईपीएल शिफ्ट करना भावनात्मक मुद्दा
पाटेकर ने कहा कि महाराष्ट्र को आईपीएल मैचों की मेजबानी नहीं करनी चाहिए थी। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आईपीएल के 13 मैचों को राज्य से बाहर कराने के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश से भी कुछ ज्यादा फायदा नहीं होने वाला, लेकिन यह सांकेतिक कदम है। वह कहते हैं, 'क्या आईपीएल के मैच नहीं होंगे, तब मैदानों में पानी नहीं डाला जाएगा? लेकिन यह एक भावनात्मक मुद्दा है। जब लोग मर रहे हैं, तो हम जश्न कैसे मना सकते हैं?'

मौसम विभाग द्वारा जारी सामान्य से बेहतर मॉनसून के पूर्वानूमान का स्वागत करते हुए पाटेकर कहते हैं कि अगर पहले ही कदम उठाए जाते तो लातूर के प्यासे लोगों के लिए ट्रेन से पानी भेजने की जरूरत नहीं होती।

हम भी फेल हुए और हमारे नेता भी
वह कहते हैं, 'आने वाले दो महीने बहुत ही मुश्किलभरे होने वाले हैं। अगर हम पहले ही कदम उठाते तो वाटर ट्रेन भेजने की जरूरत नहीं होती। एक व्यक्ति के तौर पर हम भी और हमारे नेता भी (इस मामले में ) फेल हुए हैं।'

सिस्टम पर सवाल जरूर उठाना चाहिए
पाटेकर कहते हैं, 'लोग चिंतित हैं, लेकिन उन्होंने यह पहली बार नहीं देखा है। उन्हें यहां (मराठवाड़ा) आना चाहिए। लोगों को सिस्टम पर सवाल जरूर उठाना चाहिए। चुप रहना एक अपराध है। क्या हम अंधे हैं, जो मर रहे लोगों को नहीं देख सकते? अगर वे हमारे लोग नहीं, तो फिर वे कौन हैं?'

उन्होंने बस सनसनीखेज खबरों पर ध्यान देने को लेकर मीडिया पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, 'यह दुख की बात है कि प्रत्यूषा (बनर्जी) ने आत्महत्या कर ली। लेकिन इसे हर दिन पहले पन्ने पर ही होना चाहिए। इंद्राणी (मुखर्जी) ने कितनी बार शादी की, यह जानने की किसे पड़ी है? मुझे तो अखबार पढ़ना ही पसंद नहीं।'

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