बेंगलुरु में अपराध बढ़े : मुख्यमंत्री ने कहा, काम न करे तो डीसीपी को भी सस्पेंड करो

बेंगलुरु में अपराध बढ़े : मुख्यमंत्री ने कहा, काम न करे तो डीसीपी को भी सस्पेंड करो

बेंगलुरु में पुलिस ने वाहन जब्त किए।

बेंगलुरु:

बेंगलुरु में हाल में अपराधों में बेइंतहा इजाफा हुआ है। सरकारी अस्पताल से दिनदहाड़े नवजात बच्चे की चोरी, देर शाम शहर की सड़कों पर दौड़ती टेम्पो ट्रैवलर में सामूहिक बलात्कार और एक एक दिन में चौदह-चौदह चैन स्नेचिंग की वारदातों ने बेंगलुरु शहर के लोगों का सुकून छीन लिया है। ऐसे में एक करोड़ की आबादी वाले इस शहर की हिफाजत में लगे हाई टेक सुविधाएं प्राप्त 18000 पुलिस कर्मियों पर सवाल उठना लाज़मी ही है। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने गृह मंत्रालय के आला अधिकारियों और डीजीपी ओम प्रकाश के साथ बैठक कर उन्हें निर्देश दिए हैं कि कानून व्यवस्था को फौरन सुधारा जाए।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि कोई भी अधिकारी, चाहे वह किसी भी स्तर का हो, अगर काम नहीं कर रहा तो उसके खिलाफ फौरन सख्त कार्रवाई की जाए। यहां तक कि डीसीपी स्तर के अधिकारियों को भी सस्पेंड करने में भी हिचक नहीं होनी चाहिए।

राज्य की छवि खराब होने से सीएम परेशान
दरअसल मुख्यमंत्री काफी दवाब में हैं। प्रोफेसर कलबर्गी की हत्या ने जिस तरह देश-विदेश में राज्य की छवि खराब की। इस घटना से हुई परेशानी से सिद्धरमैया उबर भी नहीं पाए थे कि मंगलौर में मोरल पोलिसिंग के नाम पर एक बार फिर बजरंग दाल के कार्यकर्ताओं ने एक मुस्लिम लड़के की पिटाई दिनदहाड़े शहर के बीचोंबीच की। उसकी गलती सिर्फ इतनी थी कि वह जिस लड़की के साथ था वह हिन्दू थी। अभी यह बवाल थामा भी नहीं था कि शहर में चैन स्नेचिंग की वारदातें शुरू हो गईं। रही सही कसर शनिवार को देर शाम इलेक्ट्रॉनिक सिटी के नजदीक चलती टेम्पो ट्रेवलर में एक बीपीओ की महिला कर्मी के साथ सामूहिक बलात्कार की वारदात ने पूरी कर दी।

बस से परदे हटाता हुआ एक पुलिस कर्मचारी।

वाहनों की जांच और जब्त करने की कार्रवाई
ऐसे में मुख्यमंत्री पर पड़ रहे दवाब के हालात समझे जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने सिर्फ पुलिस ही नहीं बल्कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट को भी फटकार लगाई। नतीजे के तौर पर गुरुवार को बेंगलुरु में वाहनों की जांच-पड़ताल और धरपकड़ शुरू हो गई है। उन सभी वाहनों को जब्त किया गया जो पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जुड़े थे और जिनमें अंदर से पर्दा लगा था या फिर रंगीन फिल्म शीशे पर चढ़ी थीं।

सार्वजनिक वाहनों से हटाए गए परदे।
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शहर के पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम में खामियां
ट्रांसपोर्ट और पुलिस विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती है शहर में बिगड़े हुए पब्लिक ट्रांसपोर्ट  सिस्टम को रास्ते पर लाना। शहर में लगभग 54 लाख निजी वाहन हैं। मेट्रो रेल का काम अभी चल रहा है और बसें पर्याप्त नहीं हैं। ऐसे में ऑटो का इस्तेमाल लोग करते हैं। रात में 9 बजे के बाद शहर में बस मिलना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में निजी टेम्पो ट्रेवलर, जीप, मिनी बस का इस्तेमाल करने के लिए लोग मजबूर हैं। मौका मिलते ही बदमाश  सवारियों के साथ लूटपाट करते हैं। हाल में हुआ बलात्कार भी इसी का नतीजा था।