कोरोनावायरस महामारी की दूसरी लहर ने देश में तबाही मचा रखी है. पिछले साल के लॉकडाउन से उबर रही अर्थव्यवस्था को दूसरी लहर ने आकर फिर झटका दे दिया है. इकोनॉमिक रिकवरी दूसरी लहर में प्रभावित हुई है. वित्तवर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों के लिए दूसरी लहर ने खतरा पैदा कर दिया है. वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को अप्रैल, 2021 के लिए इकोनॉमिक रिव्यू रिपोर्ट जारी की है, जिसमें अर्थव्यवस्था के दूसरी लहर की चपेट में होने की बात मानी है.
हालांकि बता दें कि अभी बुधवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मीडिया को संबोधित किया था और कहा था कि आरबीआई को नहीं लगता है कि अप्रैल, 2021 के ग्रोथ अनुमान में इस लहर के चलते कोई ज्यादा विचलन आएगा. उन्होंने कहा था कि कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए विस्तृत और तेज कदम उठाने की जरूरत है और सेंट्रल बैंक तेजी से बदलती स्थिति पर नजर बनाए हुए है.
कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच RBI गवर्नर द्वारा की गई घोषणाओं की खास बातें...
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट की कुछ खास बातें-
- अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर के चलते इकोनॉमिक रिकवरी की गति पहली वेव के बाद से धीमी हुई है.
- दूसरी लहर ने वित्तवर्ष 2021-22 की पहली तिमाही के लिए डाउनसाइड रिस्क (भविष्य के लाभ पर नुकसान का खतरा) पैदा कर दिया है. इस दौरान आर्थिक गतिविधियां धीमी पड़ सकती हैं.
- हालांकि, कृषि क्षेत्र थोड़ी उम्मीद दे रहा है. आगामी फसल वर्ष में रिकॉर्ड अनाज के उत्पादन और मॉनसून के सामान्य रहने के अनुमान ने अर्थव्यवस्था को थोड़ा सहारा दिया है.
- वहीं, रूरल डिमांंड के संकेतक भी अच्छे लक्षण दिखा रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, ट्रैक्टर की बिक्री में 172 फीसदी और 36 फीसदी की दर से ग्रोथ दर्ज की गई है जो, क्रमश: मार्च 2020 और मार्च 2019 की दर से भी ज्यादा है.
- औद्योगिक उत्पादन में मिश्रित रुझान देखने को मिले हैं. फरवरी, 2021 में Index of Industrial Production (IIP) में 3.6 फीसदी का ईयर-ऑन-ईयर रहा है. जनवरी, 2021 में यह 3.9 फीसदी था. आठ-कोर इंडस्ट्रीज़ में मार्च, 2021 में 6.8 फीसदी था, जो कि फरवरी, 201 में 11.1 फीसदी था.
देश में कोरोना के बढ़ते मामलों और लॉकडाऊन की वजह से आर्थिक संकट 2021 में भी बना हुआ है. CMIE ने इसी हफ्ते जारी अपनी ताज़ा रिपोर्ट में दावा किया है की इस साल मार्च के मुकाबले अप्रैल महीने में 70 लाख लोगों की नौकरियां गयीं हैं. ज़ाहिर है, कोरोना का संकट अर्थव्यवस्था पर फिर गहराता जा रहा है.
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