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This Article is From Jun 19, 2020

कोविड केयर सेंटर में तब्‍दील होंगे नॉन AC कोच, इनका तापमान कम रखने के लिए होंगे ये इंतजाम..

इस बात पर सहमति व्यक्त की गई कि एसी नलिका (AC ducting) के जरिये कोविड-19 वायरस के संभावित संचरण के जोखिम के मद्देनजर एसी कोच उपयुक्त नहीं होंगे और वैसे भी आमतौर पर अधिक तापमान के दौरान वायरस से लड़ने में ज्‍यादा मदद मिलने की संभावना होती है.

कोविड केयर सेंटर में तब्‍दील होंगे नॉन AC कोच, इनका तापमान कम रखने के लिए होंगे ये इंतजाम..
देश में कोरोना वायरस के केसों की संख्‍या तेजी से बढ़ रही है
नई दिल्ली:

Covid.19 Pandemic: देश में कोरोना के बढ़ते केसों के मद्देनजर रेलवे कोचों को आपातकालीन स्थिति में आइसोलेशन बेड के रूप में इस्‍तेमाल किया जाएगा.रेलवे के एसी vs नॉन एसी कोचों (AC vs NAC coaches) को कोविड-19 के मरीजों (Covid Patients) के बेड में तब्‍दील करने से पहले नीति आयोग और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ चर्चा की गई. इस बात पर सहमति व्यक्त की गई कि एसी नलिका (AC ducting) के जरिये कोविड-19 वायरस के संभावित संचरण के जोखिम के मद्देनजर एसी कोच उपयुक्त नहीं होंगे और वैसे भी आमतौर पर अधिक तापमान के दौरान वायरस से लड़ने में ज्‍यादा मदद मिलने की संभावना होती है. खुली खिड़कियों के माध्यम से हवा के आरपार सर्कुलेशन को भी रोगियों के लिए मददगार माना गया है.  एम्पावर्ड ग्रुप द्वारा तय किया गया था कि वातानुकूलित यानी AC कोचों की अनुपयुक्‍तता (unsuitability) और ट्रांसमिशन जोखिम के कारण नॉन एसी कोचों (Non Air Conditioned coaches) को कोविड केयर सेंटर में तब्‍दील किया गया. इसके साथ ही माना गया कि थोड़ा ऊंचा तापमान और अच्‍छा हवादार क्षेत्र (well ventilated area) मरीज की रिकवरी के लिहाज से अहम होगा.

जानें कोविड केयर आइसालेशन कोच किस तरह से गर्मी का मुकाबला करेंगे?
1. कवर शीट्स (White Canat) या अन्‍य उपयुक्त सामग्री को प्लेटफार्मों पर तैनात आइसोलेशन कोचों के ऊपर बिछाया जा रहा है. उम्‍मीद है कि इससेबाहर की गर्मी के प्रकोप को कोचों में कम करने में मदद मिलेगी.

2. कोचों पर बबल रैप की फिल्में लगाई जा रही हैं जिससे कोच के अंदर के तापमान में 1° सेल्सियस की कमी आने की संभावना है.

3. नॉर्दर्न रेलवे द्वारा आइसोलेशन डिब्बों की छत को हीट रिफ्लेक्टिव पेंट के साथ पेंट करके ट्रायल किया गया था. परीक्षण के दौरान, यह पाया गया कि डिब्बों के अंदर का तापमान 2.2 °C तक कम किया जा सकता है.

4. IIT, मुंबई के सहयोग से विकसित एक अन्य कोटिंग के लिए भी ट्रायल की योजना बनाई जा रही है. यह ट्रायल 20 जून को किया जाएगा औरपरिणाम पर नजर रखी जाएगी. रेलवे कोचों की छत को पेंट करने के लिए भी व्यवस्था की जा रही है. तापमान को काम करने के लिए बांस के ठाठ जैसी वैकल्पिक व्‍यवस्‍था पर भी विचार हो रहा है.

.5. कोचों के अंदर पोर्टेबल कूलर लगाकर ट्रायल किया गया है. इन कूलरों का उपयोग करके तापमान तीन डिग्री सेल्सियस तक कम हुआ था. 

6. वाटर मिस्ट सिस्टम (पानी की फुहार) जैसे उपायोग को भी आजमाया जा रहा है. शुष्क हवा के मौजूदा मौसम में यह उम्मीद की जाती है कि इसके कारण तापमान में कमी आएगी.

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