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This Article is From Mar 10, 2021

कोवैक्‍सीन अब 'क्‍लीनिकल ट्रायल मोड' में नहीं, टीकाकरण के लिए जरूरी नहीं होगा सहमति पत्र

भारत में कोरोनावायरस (Coronavirus) से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान (Vaccination Drive in India) जोरों पर है. अब कोवैक्‍सीन क्‍लीनिकल ट्रायल मोड' में नहीं है. इसके टीकाकरण के लिए सहमति पत्र जरूरी नहीं होगा.

कोवैक्‍सीन अब 'क्‍लीनिकल ट्रायल मोड' में नहीं, टीकाकरण के लिए जरूरी नहीं होगा सहमति पत्र
भारत में 16 जनवरी से टीकाकरण शुरू हुआ था. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

भारत में कोरोनावायरस (Coronavirus) से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान (Vaccination Drive in India) जोरों पर है. देश में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की कोविशील्ड (Covishield) और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (Covaxin) के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है. अब जानकारी मिल रही है कि कोवैक्‍सीन क्‍लीनिकल ट्रायल मोड' में नहीं है. इसके टीकाकरण के लिए सहमति पत्र जरूरी नहीं होगा. कोवैक्सीन को क्लीनिकल ट्रायल मोड से हटाया जा सकता है. सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी, जो वैक्सीन के विकास की निगरानी कर रही है, ने देश के ड्रग्स रेगुलेटर DCGI से यह सिफारिश की है.

कमेटी के अनुसार, अगर कोवैक्सीन को अब क्लीनिकल ट्रायल मोड के तहत प्रशासित नहीं किया जाता है, तो लोगों को वैक्सीन लेने के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने की आवश्यकता नहीं है. कमेटी ने कोवैक्सीन को तीसरे ट्रायल के डेटा के बाद आपातकालीन इस्तेमाल की इजाजत दिए जाने की सिफारिश की थी. वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल मोड के दौरान टीका लगाने वाले लोगों को सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने जरूरी होते हैं.

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बताते चलें कि मशहूर मेडिकल साइंस रिसर्च जर्नल Lancet में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में कहा गया है कि आत्मनिर्भर भारत के तहत बनी कोरोनावायरस की वैक्सीन कोवैक्सीन सुरक्षित है लेकिन उसके तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के नतीजों की प्रभावशीलता का विश्लेषण जरूरी है.

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इस साल जनवरी में कोवैक्सीन के आपातलाकीन इस्तेमाल की मंजूरी दी गई थी, उस वक्त वैक्सीन थर्ड फेज ट्रायल में ही थी. रिसर्च पेपर में कोवौक्सीन के पहले दो फेज के ट्रायल के नतीजों का विश्लेषण छपा है, जिसमें उसे सुरक्षित बताया गया है.

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