मुम्बई:
बम्बई उच्च न्यायालय ने आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले में संलिप्त सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू न करने पर सोमवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को फटकार लगाई।
न्यायमूर्ति पीबी मजमूदार एवं न्यायमूर्ति डीआर धनुका की खंडपीठ ने सीबीआई से पूछा, "जब कई सरकारी अधिकारियों के खिलाफ प्रारम्भिक सबूत हैं, तब आपने सम्बंधित विभागों को इन्हें पद से हटाने के लिए पत्र क्यों नहीं लिखा।"
खंडपीठ ने कहा, "दोषी पाए गए प्रत्येक अधिकारी पर कार्रवाई करें।"
सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने सोमवार को घोटाले की जांच पर स्थिति रिपोर्ट सौंपी।
ज्ञात हो कि दक्षिणी मुम्बई के कोलाबा इलाके में मुख्य भूमि पर स्थित 31 मंजिली इमारत का निर्माण आदर्श सोसायटी ने करवाया है। कारगिल के युद्धवीरों एवं सैनिकों की विधवाओं के लिए बनाई गई इस इमारत के निर्माण से लेकर फ्लैट आवंटन तक में धांधलियों के आरोप हैं। आरोप लगने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को पद छोड़ना पड़ा था।
पिछले हफ्ते जारी अदालत के निर्देश का पालन करते हुए प्रवर्तन निदेशालय के विशेष निदेशक भी अदालत में मौजूद थे।
खंडपीठ ने सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग से जानकारी को साझा करने तथा जांच में समन्वय कायम करने के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाने को कहा।
अदालत ने धन की हेराफेरी मामले में कथित तौर पर संलिप्त आदर्श सोसायटी के कुछ सदस्यों के खिलाफ जांच शुरू नहीं करने पर 28 फरवरी को प्रवर्तन निदेशालय को भी फटकार लगाई थी।
एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री (अब केंद्रीय मंत्री) विलासराव देशमुख पर भी फ्लैट आवंटन में नियमों को नजरअंदाज करने का आरोप है।
सीबीआई इस मामले में 15 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा चुकी है। जांच एजेंसी ने जांच पूरी करने और आरोपपत्र दाखिल करने के लिए अदालत से दो हफ्ते का समय मांगा है।
जांच एजेंसी ने गत मंगलवार को महाराष्ट्र के पूर्व कांग्रेस विधायक कन्हैयालाल वी. गिडवाणी, उनके कर परामर्शदाता बेटे और सीबीआई के एक वकील सहित चार लोगों को इसी जांच से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तार किया था। ये सभी आरोपी 16 मार्च तक के लिए सीबीआई की हिरासत में हैं।
घोटाला मामले की अगली सुनवाई 22 मार्च को होगी।
न्यायमूर्ति पीबी मजमूदार एवं न्यायमूर्ति डीआर धनुका की खंडपीठ ने सीबीआई से पूछा, "जब कई सरकारी अधिकारियों के खिलाफ प्रारम्भिक सबूत हैं, तब आपने सम्बंधित विभागों को इन्हें पद से हटाने के लिए पत्र क्यों नहीं लिखा।"
खंडपीठ ने कहा, "दोषी पाए गए प्रत्येक अधिकारी पर कार्रवाई करें।"
सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने सोमवार को घोटाले की जांच पर स्थिति रिपोर्ट सौंपी।
ज्ञात हो कि दक्षिणी मुम्बई के कोलाबा इलाके में मुख्य भूमि पर स्थित 31 मंजिली इमारत का निर्माण आदर्श सोसायटी ने करवाया है। कारगिल के युद्धवीरों एवं सैनिकों की विधवाओं के लिए बनाई गई इस इमारत के निर्माण से लेकर फ्लैट आवंटन तक में धांधलियों के आरोप हैं। आरोप लगने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को पद छोड़ना पड़ा था।
पिछले हफ्ते जारी अदालत के निर्देश का पालन करते हुए प्रवर्तन निदेशालय के विशेष निदेशक भी अदालत में मौजूद थे।
खंडपीठ ने सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग से जानकारी को साझा करने तथा जांच में समन्वय कायम करने के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाने को कहा।
अदालत ने धन की हेराफेरी मामले में कथित तौर पर संलिप्त आदर्श सोसायटी के कुछ सदस्यों के खिलाफ जांच शुरू नहीं करने पर 28 फरवरी को प्रवर्तन निदेशालय को भी फटकार लगाई थी।
एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री (अब केंद्रीय मंत्री) विलासराव देशमुख पर भी फ्लैट आवंटन में नियमों को नजरअंदाज करने का आरोप है।
सीबीआई इस मामले में 15 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा चुकी है। जांच एजेंसी ने जांच पूरी करने और आरोपपत्र दाखिल करने के लिए अदालत से दो हफ्ते का समय मांगा है।
जांच एजेंसी ने गत मंगलवार को महाराष्ट्र के पूर्व कांग्रेस विधायक कन्हैयालाल वी. गिडवाणी, उनके कर परामर्शदाता बेटे और सीबीआई के एक वकील सहित चार लोगों को इसी जांच से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तार किया था। ये सभी आरोपी 16 मार्च तक के लिए सीबीआई की हिरासत में हैं।
घोटाला मामले की अगली सुनवाई 22 मार्च को होगी।
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