मद्रास हाईकोर्ट ने व्यवस्था दी कि काली होने के कारण पत्नी की आलोचना कर देने भर से व्यक्ति को उसे खुदकुशी के लिए उकसाने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता। परमशिवम की पत्नी 12 सितंबर, 2001 को मृत मिली थी।
कोर्ट की मदुरै पीठ के जस्टिस एम सत्यनारायण ने निचली अदालत के खिलाफ परमशिवम की याचिका मंजूर करते हुए कहा, 'काली होने की वजह से पत्नी की आलोचना करना उसका उत्पीड़न नहीं है और यह नहीं कहा जा सकता कि पति ने पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाया।'
इससे पहले तिरुनेलवेली जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने परमशिवम को पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में दोषी ठहराया था और सात साल की कैद की सजा सुनायी थी। निचली अदालत ने 27 अक्तूबर, 2006 को उसे दहेज उत्पीड़न कानून के तहत भी तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी।
परमशिवम ने उस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी, जहां अदालत ने उन्हें आरोपों से बरी कर दिया।
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