मुंबई में कोविड मरीज़ों (Coronavirus Cases) की मृत्यु दर जहां क़रीब 3% के आसपास है, वहीं शहर के कैंसर मरीज़ (Cancer Patients) जो कोविड से भी संक्रमित हैं उनमें 10% मृत्यु दर दिख रही है. भारत के प्रमुख कैंसर अस्पताल मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में कोविड संक्रमित 1,140 कैंसर रोगियों में 112 की मौत हुई है. इधर एशियन कैंसर इंस्टिट्यूट के मुताबिक ब्लड कैंसर मरीज़ों में सबसे ज़्यादा ख़तरा है, कोविड के कारण इनमें बीमारी की गंभीरता 5 गुना ज़्यादा बढ़ती है.
भारत के प्रमुख कैंसर अस्पताल मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल का दावा है कि कैंसर के साथ कोरोना के संक्रमण वाले 100 में से 10 मरीज़ मौत का शिकार हुए हैं. हर साल क़रीब 70,000 कैंसर रोगियों का इलाज करने वाले टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल ने मार्च और अक्टूबर के बीच कोविड-19 सह-संक्रमण के साथ 1,140 कैंसर रोगियों का इलाज किया है, जिनमें से 112 की संक्रमण से मृत्यु हो गई, यानी क़रीब 10% मृत्यु दर.
टाटा मेमोरियल अस्पताल के निदेशक डॉक्टर सी एस प्रमेश ने बताया कि 'क़रीब 230 मरीज़ों पर हुई ये स्टडी दर्शाती है जब कैंसर मरीज़ों को कोविड का भी संक्रमण हो रहा है तो उनमें मृत्यु दर क़रीब 10% है. वहीं मुंबई शहर के आम कोविड मरीज़ों में जिन्हें कैंसर नहीं है उनमें मृत्यु दर क़रीब 3% है. हम लोग इस स्टडी को आगे बढ़ा रहे हैं और मरीज़ों को स्टडी में शामिल कर रहे हैं, कैंसर और कोविड से एकसाथ संक्रमित हुए क़रीब 1,100 मरीज़ों का हमने इलाज किया है और इनमें मृत्यु दर 10-11% बना हुआ है.'
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एशियन कैंसर इंस्टिट्यूट Cumballa Hill Hospital के चेयरमैन और कैंसर सर्जन डॉक्टर रमाकांत देशपांडे बताते हैं कि इलाज करवा चुके मरीज़ों के लिए भी कोविड संक्रमण बड़े ख़तरे लाता है और ख़ासतौर से ब्लड कैंसर के मरीज़ों में, कोविड, बीमारी की गम्भीरता को क़रीब पांच गुना ज़्यादा बढ़ाता है.
उन्होंने कहा कि 'ऐसे मरीज़ों में जिनको कैंसर हो चुका या ट्रीटमेंट हो चुकी है, इनमें अगर कोविड का इंफ़ेक्शन हो गया, तो इनमें कॉम्प्लिकेशंज़ के चांसेस, मौत आने के चांसेस दोगुना या तीन गुना बढ़ जाते हैं. कैंसर के ऐसे मरीज़ जिन्हें ब्लड कैंसर हो, लिम्फोमा (Lymphoma) हो, ल्यूकीमिया (Leukaemia) हो, या माइलोमा (myeloma) हो इनमें ये परसेंटेज बहुत ज़्यादा है, तो चार से पांच गुना कॉम्पलिकेशन रेट बढ़ने के चांसेस हैं.'
फ़ोर्टिस अस्पताल ने कैंसर के सर्जिकल मरीज़ों में कोविड के कारण 25-30% मौतें देखी हैं. अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट और हेड-सर्जिकल ऑन्कोलॉजी डॉक्टर अनिल हेरूर ने बताया कि 'कैंसर के सर्जिकल मरीज को देखें तो जिन्हें ये संक्रमण हुआ 25-30% मरीज़ इससे बाहर नहीं आ पाए. ये मरीज़ वैसे हैं जिनका कैंसर का स्टेज काफ़ी एडवान्स्ड है. जो काफ़ी कमजोर हो चुके हैं, क्योंकि महामारी के दौरान वो सही वक्त पर हॉस्पिटल नहीं पहुंच पाए. आज भी बहुत लोग डरते हैं, मेरी सलाह है कि कैंसर मरीज़ लक्षण को नज़रंदाज़ ना करें.'
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कैंसर के बड़े अस्पताल और सर्जन, कैंसर मरीज़ों को कोविड से ज़्यादा सावधानी बरतने की सख़्त सलाह दे रहे हैं और लक्षण दिखते ही अस्पताल में कैंसर संक्रमित अंग की अच्छी तरह से जरूरी जांच की दरकार बता रहे हैं.
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