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This Article is From Jul 01, 2020

कोरोना वायरस को हराने के बाद प्लाज्मा दान करके जीवन बचा रहे अर्धसैनिक बलों के जवान

विभिन्न अर्धसैनिक बलों के 2000 से अधिक कोरोना योद्धा संक्रमित होने के बाद स्वस्थ हो गए हैं, लगभग 1400 अभी भी वायरस से लड़ रहे हैं

कोरोना वायरस को हराने के बाद प्लाज्मा दान करके जीवन बचा रहे अर्धसैनिक बलों के जवान
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

विभिन्न अर्धसैनिक बलों के सैकड़ों कोविड ​​योद्धा जो कोरोना वायरस से उबर चुके हैं, अब इलाज के दौर से गुजर रहे अन्य गंभीर रोगियों के लिए प्लाज्मा दान करने के लिए भारत के विभिन्न हिस्सों में कतारबद्ध हैं. विभिन्न अर्धसैनिक बलों के 2000 से अधिक कोरोना योद्धा हैं जो स्वस्थ हो गए हैं और लगभग 1400 अभी भी वायरस से लड़ रहे हैं. उनमें से कई स्वयंसेवकों ने पहले से ही दिल्ली, गुजरात, हरियाणा और अन्य राज्यों में प्लाज्मा के लिए रक्त दान किया है. इसके अलावा कई लोगों ने प्लाज्मा दान करने के लिए खुद को पंजीकृत या प्रतिबद्ध भी किया है.

सीआरपीएफ के हेड कॉन्स्टेबल मंजीत सिंह उनमें से एक हैं. उन्होंने NDTV को बताया, ''मुझे NDTV से पता चलने के बाद 27 जून को प्लाज्मा दान किया था. गंगाराम अस्पताल में वेंटिलेटर पर एक महिला को प्लाज्मा की जरूरत थी. मैंने अस्पताल जाकर अपना चेक करवाया और अपना प्लाज़्मा दान कर दिया.''

मंजीत के अनुसार उन्होंने अपने दृढ़ संकल्प के साथ अदृश्य वायरस को हराया. उन्होंने कहा "मुझे 29 अप्रैल को पता चला कि मैं कोरोना पॉजिटिव हूं. लेकिन मैं निराश नहीं हुआ. सकारात्मक सोच बनाए रखी और डॉक्टरों के निर्देशों का पालन किया."

मंजीत अकेले नहीं हैं, 31 बटालियन के एचसी गणेश कुमार भी कहते हैं कि प्लाज्मा दान करना एक अच्छा काम है. उन्होंने कहा कि "अगर मैं एक जीवन बचा सकता हूं तो क्यों नहीं." 

मुंबई एयरपोर्ट पर तैनात सीआईएसएफ के हेड कांस्टेबल आरटी यादव का कहना है कि उन्होंने सकारात्मक रहकर कोरोना को हराया. उन्होंने कहा, "एक दिन जब मैं आराम कर रहा था तो मुझे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का फोन आया. उन्होंने मुझे प्रेरित किया और मेरे इम्युनिटी लेवल को बढ़ा दिया." यादव को प्लाज्मा दान करने में भी कोई गुरेज नहीं है.

CISF कांस्टेबल सीजे यादव ने भी कहा कि उन्होंने कठिन समय से गुजरने के लिए अपनी प्रतिरक्षा पर भरोसा किया. वे कहते हैं कि "मैंने सावधानी बरती और मैं वायरस को हराने में कामयाब रहा." 

एक दाता के लिए प्लाज्मा दान करने के योग्य होने के लिए, उसे लक्षणों से मुक्त होना चाहिए और प्लाज्मा का उपयोग करने से कम से कम 14 दिन पहले वायरस के लिए निगेटिव टेस्ट आना चाहिए. कोविड-रिकवर रोगियों के रक्त में इस बीमारी से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा विकसित हो जाती है और उनके रक्त से प्लाज्मा निकाला जाता है. लगभग 100 मिलीलीटर प्लाज्मा रक्त से लिया जाता है और इस प्रक्रिया में लगभग 40 मिनट लगते हैं.

एडीजीपी मेडिकल (CAPF) मुकेश सक्सेना ने NDTV से कहा, '' यह एक अच्छी पहल है जो किसी को जीवन बचाने में मदद करती है.

सीआरपीएफ के डीजी एपी माहेश्वरी ने कहा कि ''सीआरपीएफ राष्ट्र के जीवन के रक्षक हैं. शांति बनाए रखना हमारा कर्तव्य है, जीवन बचाना हमारा जुनून है. हमने देश भर में सेवा की है. कोविड महामारी के मद्देनजर सीआरपीएफ ने कोविड योद्धाओं की भूमिका निभाई. हमने लगातार संकट में मदद की है. हमारे लगभग 1000 कर्मी बीमार हुए. इनमें से आधे से ज्यादा अब तक स्वस्थ भी हो चुके हैं. लेकिन हमारे हजारों देशवासी अभी भी अस्पतालों में संघर्ष कर रहे हैं. हम प्लाज्मा दान करके वायरस के खिलाफ उनकी लड़ाई में उनकी मदद कर सकते हैं.''

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