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This Article is From Mar 27, 2020

कोरोनावायरस के चपेट में आए शख्स की पत्नी भी हुई शिकार, आइसोलेशन सेंटर में कैसा रहता है माहौल - बताई पूरी दास्तान

Covid 19: पति जहां काम करते हैं वो लोग इटली से आये थे. जिसकी वजह से पति कोरोनावायरस के चपेट में आया और फिर पत्नी भी शिकार हो गई. 

कोरोनावायरस के चपेट में आए शख्स की पत्नी भी हुई शिकार, आइसोलेशन सेंटर में कैसा रहता है माहौल - बताई पूरी दास्तान
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:

कोरोनावायरस (Coronavirus) की वजह से अब तक देश में करीब 700 से ज्यादा लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं, जबकि 17 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि 60 से ज्यादा लोगों को ठीक होने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. फिलहाल अब हम ऐसे कपल की बात करने जा रहे हैं जिनकी कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं है, लेकिन पति जहां काम करते हैं वो लोग इटली से आये थे. जिसकी वजह से पति कोरोनावायरस के चपेट में आया और फिर पत्नी भी शिकार हो गई. 

एनडीटीवी से बात करते हुए पत्नी ने पूरी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि शुरू में पति को पहले आगरा से दिल्ली भेजा गया था. यहां सफदरजंग अस्पताल में शिफ्ट किया गया. वहां कोई दिक्कत नहीं. सारी सुविधाएं हैं. बस ये है कि आपको एक कमरे में रखा जाएगा. किसी से भी, घरवालों से भी नहीं मिल सकते हैं. वैसे कोई ट्रीटमेंट भी ज़्यादा नहीं है. दो-तीन टेबलेट देते हैं. एक सुबह, एक नास्ते के बाद और एक शाम को. दो तीन बार BP नापेंगे, टेम्परेचर लेंगे. सिर्फ यह है कि आपको अकेले रहना पड़ता है.

पत्नी ने आगे बताया कि मुझे अपना पता चला तो इतना डर नहीं था. जब पति का पता चला तो काफी डर गई थी. उस वक्त आगरा में पहला ही केस हुआ था. पति का पता चला तो डर गई. दूसरे दिन खुद का पता चला तो डर गायब था. फिर सोचा जहां भी हैं दोनों एक साथ रहेंगे. अस्पताल में एक दूसरे से कोई मुलाकात नहीं होती थी. दोनों अलग अलग कमरे में थे. अस्पताल में पता चला कि डरने की ज़रूरत नहीं है. बस मन में भय है. कोविड-19 का पता चल जाये, समय पर इलाज कराएं तो कोई परेशानी नहीं है.

उन्होंने आगे कहा, ''शुरू में डर लग रहा था की क्या इलाज करेंगे, क्या-क्या टेस्ट करेंगे? इंजेक्शन देंगे या बोतल चढ़ाएंगे? पर ऐसा कुछ भी नहीं था. एक दो दिन रहने पर सब सामान्य लगने लगेगा. थोड़ा अकेलापन ज़रूर महसूस होता है. बाकी कोई दिक्कत नहीं. डॉक्टर नर्स सब अच्छे से काम किये. हालचाल हमेशा पूछने आते थे. सबने पूरा ख्याल रखा. लोगों को यही कहूंगी की अपने अंदर से डर निकालना होगा. ये न सोचें कि ये बड़ी बीमारी है या हम बच नहीं सकते, या इसका कोई इलाज नहीं है. समय से पता चल जाये तो हर चीज़ का इलाज है. आपको थोड़ा केअर करना होगा. एकांतवास में फ़ोन से बात करने की छूट होती है. 

पत्नी ने यह भी बताया कि आइसोलेशन वार्ड में कुछ नहीं होता. एक कमरा होता है. आपको बंद रखते हैं. सिर्फ टेबलेट देते हैं और ट्रीटमेंट में कुछ नहीं. सर्दी, खांसी, जुकाम है. बता दो तो उसकी टेबलेट दे देंगे और कुछ नहीं. दूर वालों को लगता है क्या होगा क्या नहीं? पर ऐसा कुछ नहीं है. जो इलाज नहीं करवा रहे उनको ये कहना है कि डरें नहीं संयम रखें. हर चीज़ का इलाज है. डिस्चार्ज होने के दिन जितने डॉक्टर, नर्स या हाउसकीपिंग वाले थे सबसे मुलाक़ात हुई, सबको शुक्रिया किया. अस्पताल में डरने जैसा कुछ नहीं.

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