कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अमेठी आगमन से ऐन पहले उनसे सम्बन्धित ट्रस्ट के अस्पताल में हुई एक मौत पर उठे सियासी विवाद का जिन्न पोस्टर के रूप में एक बार फिर सामने आ गया है. अमेठी से लोकसभा चुनाव में मिली पराजय के बाद पहली बार यहां पहुंच रहे राहुल के आगमन से ऐन पहले केन्द्रीय कांग्रेस कार्यालय के गेट पर एक पोस्टर लगाया गया है, जिसमें लिखा है ''न्याय दो, न्याय दो मेरे परिवार को, न्याय दो, दोषियों को सजा दो, संजय गांधी अस्पताल अमेठी में जिंदगी बचाई नहीं गंवाई जाती है. राहुल गांधी जवाब दो.'' हालांकि पोस्टर में किसी मुद्रक या प्रकाशक का नाम नहीं लिखा है.
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उल्लेखनीय है कि अमेठी स्थित संजय गांधी चिकित्सालय संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा संचालित है और राहुल इसके ट्रस्टी हैं. जिला कांग्रेस प्रवक्ता अनिल सिंह ने कहा कि यह भाजपा की साजिश है और अब तो यहां उनकी सांसद स्मृति ईरानी भी चुन ली गयी हैं. सिंह ने आरोप लगाया कि इससे पहले भी भाजपा के लोग यहां ऐसी हरकतें करते रहे हैं. संजय गांधी अस्पताल पिछली मई में लोकसभा चुनाव के दौरान चर्चा में आया था.अमेठी सीट से राहुल की प्रतिद्वंद्वी और भाजपा प्रत्याशी तथा केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अप्रैल में संजय गांधी अस्पताल में नन्हे लाल नामक व्यक्ति की मौत को लेकर अस्पताल प्रशासन पर गम्भीर आरोप लगाये थे. बाद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपनी एक चुनावी रैली में इसका जिक्र किया था.
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स्मृति ने गत पांच मई को किये गये ट्वीट में कहा था '''आज मैं निशब्द हूं - कोई इतना गिर सकता है, यह कभी नहीं सोचा था. एक गरीब को सिर्फ़ इसलिए मरने दिया क्यूंकि उसके पास मोदी का आयुष्मान कार्ड था पर अस्पताल राहुल गांधी का था.'' उन्होंने एक और ट्वीट में कहा था ''संजय गांधी अस्पताल के ट्रस्टी राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा जवाब दें अमेठी को - एक निर्दोष को क्यों मार दिया गया?'' मोदी ने भी ग्वालियर में एक चुनावी रैली में यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि गांधी परिवार से जुड़े एक अस्पताल में एक मरीज को यह कहते हुए लौटा दिया गया कि यह मोदी का अस्पताल नहीं है, जहां आयुष्मान कार्ड चलता हो.
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हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा था कि मुसाफिरखाना क्षेत्र के सरैया गांव का निवासी रहा मरीज नन्हे लाल बेहद गम्भीर हालत में अस्पताल लाया गया था. उसे हर सम्भव बेहतर इलाज दिया गया लेकिन अस्पताल में जरूरी सुविधाएं ना होने की वजह से उसे लखनऊ जाने की सलाह दी गयी थी। बाद में 26 अप्रैल को उसकी मृत्यु हो गयी थी. अस्पताल के निदेशक एस.एम. चौधरी ने कहा था कि नन्हे लाल के पास आयुष्मान भारत योजना का कार्ड नहीं था.
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