पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पंजाब में 10 नवंबर की रैली को लेकर अकाली दल ने कांग्रेस पर एक के बाद एक कई आरोप लगाए हैं। पार्टी के नेता सुखबीर सिंह बादल ने 10 नवंबर को हुई सिखों की सरबत खालसा में उग्र भाषणों के लिए कांग्रेस को ठहराया ज़िम्मेदार है, साथ ही इस पार्टी पर आरोप लगाया है कि वह अस्सी के दशक वाले पंजाब को दोबारा लाना चाहती है । सुखबीर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वो राष्ट्रपति से मिलकर कांग्रेस की मान्यता रद्द करने की मांग करेंगे क्योंकि वह राजनीतिक पार्टी नहीं है, साथ ही उन्होंने कहा कि 10 नवंबर की रैली में कांग्रेस के कई नेता थे।
हालांकि कांग्रेस ने उक्त रैली में अपने नेताओं की मौजूदगी की बात से इंकार किया है। बादल ने कहा कि राहुल गांधी उन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करते हैं जिनके रैली के फोटो सबके सामने हैं। सुखबीर बादल ने आरोप लगाए हैं कि कांग्रेस ने ही निर्देशित किया था कि अमृतसर में हुई सिखों की सरबत खालसा में क्या प्रस्ताव पारित किए जाने हैं।
सरबत खालसा को लेकर हुआ विवाद
बता दें कि दस नवंबर को अमृतसर में हुई सिखों की सरबत खालसा के तहत एक बड़ा धार्मिक आयोजन किया गया था जिसके प्रमुख संयोजक सिमरनजीत सिंह मान और मोहकम सिंह थे। हरमंदिर साहिब परिसर से लगभग 20 किलोमीटर दूर सिख नेताओं के आह्वान पर हज़ारों सिख इकट्ठा हुए थे।
हालांकि कांग्रेस ने उक्त रैली में अपने नेताओं की मौजूदगी की बात से इंकार किया है। बादल ने कहा कि राहुल गांधी उन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करते हैं जिनके रैली के फोटो सबके सामने हैं। सुखबीर बादल ने आरोप लगाए हैं कि कांग्रेस ने ही निर्देशित किया था कि अमृतसर में हुई सिखों की सरबत खालसा में क्या प्रस्ताव पारित किए जाने हैं।
सरबत खालसा को लेकर हुआ विवाद
बता दें कि दस नवंबर को अमृतसर में हुई सिखों की सरबत खालसा के तहत एक बड़ा धार्मिक आयोजन किया गया था जिसके प्रमुख संयोजक सिमरनजीत सिंह मान और मोहकम सिंह थे। हरमंदिर साहिब परिसर से लगभग 20 किलोमीटर दूर सिख नेताओं के आह्वान पर हज़ारों सिख इकट्ठा हुए थे।
सत्ताधारी अकाली दल का विरोध कर रहे सिख नेताओं ने 'सरबत ख़ालसा' में पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी जगतार सिंह हवारा को अकाल तख़्त का जत्थेदार नियुक्त किया था. हवारा अभी जेल में हैं। इस सरबत खालसा को लेकर ये विवाद भी हुआ कि इसे मौजूदा अकाल तख़्त जत्थेदार की रज़ामंदी से नहीं बुलाया गया था। यह सारा विवाद उस समय शुरू हुआ, जब मौजूदा जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह के नेतृत्व में अकाल तख्त ने डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम को माफी देने का फैसला किया।
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