राज्यसभा में प्रधानमंत्री का भावुक होना ‘मंझा हुआ अभिनय था’ : कांग्रेस नेता शशि थरूर

पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी की पुस्तक ‘बाई मेनी ए हैपी एक्सीडेंट: रिकलेक्सन ऑफ ए लाइफ’ पर आयोजित परिचर्चा में थरूर ने कहा, ‘यह बहुत मंझा हुआ अभिनय था.’

राज्यसभा में प्रधानमंत्री का भावुक होना ‘मंझा हुआ अभिनय था’ : कांग्रेस नेता शशि थरूर

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर.

नई दिल्ली:

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने बुधवार को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) की विदाई के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के भावुक भाषण को ‘ मंझा हुआ अभिनय' करार दिया. प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को राज्यसभा में आजाद के बारे में बात करते हुए कई बार भावुक हो गए थे.

पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी की पुस्तक ‘बाई मेनी ए हैपी एक्सीडेंट: रिकलेक्सन ऑफ ए लाइफ' पर आयोजित परिचर्चा में थरूर ने कहा, ‘यह बहुत मंझा हुआ अभिनय था.' उन्होंने कहा, ‘यह आंशिक रूप से (किसान नेता) राकेश टिकैत के जवाब में था. उन्होंने फैसला किया कि उनके पास भी आंसू हैं.' राकेट टिकैत हाल ही में किसान आंदोलन को लेकर भावुक हो गए थे.

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बता दें, राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य गुलाम नबी आजाद की तारीफ करते हुए भावुक हो गए थे. पीएम मोदी ने उन्हें एक बेहतरीन मित्र बताते हुए कहा  ‘सदन के अगले नेता प्रतिपक्ष को आजाद द्वारा स्थापित मानकों को पूरा करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. आजाद ने अपने दल की चिंता जिस तरह की, उसी तरह उन्होंने सदन की और देश की भी चिंता की.' उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता के पद पर रहते हुए आजाद ने कभी दबदबा स्थापित करने का प्रयास नहीं किया.

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प्रधानमंत्री ने बताया कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब आजाद जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री थे. उन दिनों कश्मीर में पर्यटकों पर आतंकी हमला हुआ और कुछ पर्यटक मारे गए थे. इनमें गुजरात के पर्यटक भी थे. मोदी ने कहा ‘‘तब सबसे पहले, गुलाम नबी आजाद ने फोन कर उन्हें सूचना दी और उनके आंसू रुक नहीं रहे थे. मैंने तत्कालीन रक्षा मंत्री प्रणव मुखर्जी से पर्यटकों के पार्थिव शरीर लाने के लिए सेना का हवाई जहाज उपलब्ध कराने का अनुरोध किया जो उन्होंने स्वीकार कर लिया. रात को पुन: आजाद ने फोन किया. यह फोन उन्होंने हवाईअड्डे से किया और उनकी चिंता उसी तरह थी जिस तरह लोग अपने परिवार की चिंता करते हैं.'' यह बोलते हुए प्रधानमंत्री का गला रुंध गया.

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