भुवनेश्वर:
ओडिशा विधानसभा अध्यक्ष निरंजन पुजारी ने कांग्रेस विधायक नवकिशोर दास को कथित तौर पर सदन में अश्लील वीडियो क्लिप देखने पर सदन से सात दिनों के लिए निलंबित कर दिया है। दास पर सोमवार को विधानसभा सत्र में सदन के भीतर अपने मोबाइल फोन पर अश्लील वीडियो देखने का आरोप लगा था।
मामला जांच के लिए आचार समिति को सौंपा
सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) के मुख्य सचेतक अनंत दास द्वारा पेश किए गए मौखिक प्रस्ताव के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने कार्रवाई करते हुए यह फैसला किया। अध्यक्ष ने उसके बाद यह मामला आगे की जांच के लिए आचार समिति को सौंप दिया। हालांकि विपक्षी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सदस्य विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले के विरोध में सदन से बाहर चले गए। उन्होंने आरोप लगाया कि अध्यक्ष पुजारी ने आरोप में दास को निलंबित करने का फैसला लेने से पूर्व उनका पक्ष नहीं सुना।
विधायक बोले, मुझे पक्ष नहीं रखने दिया गया
विपक्ष के नेता नरसिंह मिश्रा और भाजपा विधायक केवी सिंहदेव ने मांग की कि फैसले पर पुनर्विचार किया जाए और मामले की जांच आचार समिति से कराई जाए। दास ने कहा कि उन्हें निलंबित करने का फैसला गैर लोकतांत्रिक है, क्योंकि उनका पक्ष नहीं सुना गया। दास ने कहा, 'मेरे खिलाफ लगाए गए आरोप सही नहीं हैं। मुझे मेरा पक्ष नहीं रखने दिया गया।'
दास ने मामले की जांच की मांग करते हुए कहा, 'अपने सोशल मीडिया पृष्ठ को खोलने की कोशिश में गलती से मुझसे यूट्यूब खुल गया और उसी दौरान यह कैमरे में कैद हो गया।' दास ने कहा कि उन्होंने विधानसभा की मर्यादा और पवित्रता का उल्लंघन करने के लिए कुछ नहीं किया।
मामला जांच के लिए आचार समिति को सौंपा
सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) के मुख्य सचेतक अनंत दास द्वारा पेश किए गए मौखिक प्रस्ताव के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने कार्रवाई करते हुए यह फैसला किया। अध्यक्ष ने उसके बाद यह मामला आगे की जांच के लिए आचार समिति को सौंप दिया। हालांकि विपक्षी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सदस्य विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले के विरोध में सदन से बाहर चले गए। उन्होंने आरोप लगाया कि अध्यक्ष पुजारी ने आरोप में दास को निलंबित करने का फैसला लेने से पूर्व उनका पक्ष नहीं सुना।
विधायक बोले, मुझे पक्ष नहीं रखने दिया गया
विपक्ष के नेता नरसिंह मिश्रा और भाजपा विधायक केवी सिंहदेव ने मांग की कि फैसले पर पुनर्विचार किया जाए और मामले की जांच आचार समिति से कराई जाए। दास ने कहा कि उन्हें निलंबित करने का फैसला गैर लोकतांत्रिक है, क्योंकि उनका पक्ष नहीं सुना गया। दास ने कहा, 'मेरे खिलाफ लगाए गए आरोप सही नहीं हैं। मुझे मेरा पक्ष नहीं रखने दिया गया।'
दास ने मामले की जांच की मांग करते हुए कहा, 'अपने सोशल मीडिया पृष्ठ को खोलने की कोशिश में गलती से मुझसे यूट्यूब खुल गया और उसी दौरान यह कैमरे में कैद हो गया।' दास ने कहा कि उन्होंने विधानसभा की मर्यादा और पवित्रता का उल्लंघन करने के लिए कुछ नहीं किया।
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