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This Article is From May 26, 2016

असम में कांग्रेस की पराजय के बाद पार्टी के रणनीतिकार प्रशांत किशोर पर दारोमदार बढ़ा

असम में कांग्रेस की पराजय के बाद पार्टी के रणनीतिकार प्रशांत किशोर पर दारोमदार बढ़ा
प्रशांत किशोर (फाइल फोटो)
पटना: केंद्र सरकार के दो साल पूरे होने के उपलक्ष्‍य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उत्‍तर प्रदेश के सहारनपुर में आयोजित रैली में "मैं यूपी-वाला हूं" का उद्घोष अगले साल यूपी में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में बीजेपी की चुनावी तैयारियों की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। इसी कड़ी में 2014 में नए तौर-तरीकों और चुनावी रणनीति के साथ नरेंद्र मोदी के चुनावी अभियान की कमान संभालने वाले और अब यूपी में कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर अगले महीने से राज्‍य में डेरा जमाने जा रहे हैं।

यूपी में गुजारेंगे महीने में 20 दिन
प्रशांत किशोर के निकट सूत्रों के मुताबिक वह अगले महीने से 20 दिन यूपी में गुजारेंगे और कांग्रेस के लिए रणनीति तैयार करने के साथ उनको अमलीजामा पहनाने का काम भी करेंगे। बाकी के दिन पंजाब में गुजारेंगे। वहां कांग्रेस के अभियान की अगुवाई कर रहे कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की चुनावी रणनीतियों का खाका खीचेंगे। अमरिंदर को जल्‍द ही पार्टी की तरफ से मुख्‍यमंत्री पद का उम्‍मीदवार घोषित किया जाने वाला है।

प्रशांत किशोर की टीम यूपी में 100 सदस्‍य हैं और इससे जुड़े सूत्रों के अनुसार जून के मध्‍य में कांग्रेस की तरफ से "बड़ी घोषणा" की योजना बना रहे हैं और उसी के साथ पार्टी के चुनावी अभियान का आगाज होगा। पंजाब और यूपी में अगले साल चुनाव होने जा रहे हैं। हाल में केरल और असम जैसे राज्‍यों में पार्टी की हार के बाद के बाद से कांग्रेस को अब जीत की सख्‍त दरकार है। पंजाब में जीतने की स्थिति में पार्टी का मनोबल बढ़ेगा। इसके साथ ही देश का सबसे बड़े राज्‍य यूपी से ही यह तय होता है कि देश का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा। उल्‍लेखनीय है कि 2014 के चुनाव में भाजपा ने इस राज्‍य की 80 में से 71 सीटों पर कामयाबी हासिल की थी। कांग्रेस की तरफ से यहां से केवल सोनिया और राहुल गांधी को सफलता मिली थी।

विरोधियों की बोलती हुई बंद
पिछले हफ्ते केरल और असम से कांग्रेस सत्‍ता से बाहर हो गई है और बंगाल और केरल में वह जिस गठबंधन का हिस्‍सा थी, उनका प्रदर्शन लचर रहा। सूत्रों के मुताबिक असम में भाजपा की आसान जीत ने प्रशांत किशोर की कांग्रेस में रणनीतिकार के रूप में भूमिका को मजबूत किया है क्‍योंकि उन्‍होंने कांग्रेस को दो क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन की सलाह दी थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और वहीं दूसरी तरफ भाजपा ऐसा ही गठबंधन करके सत्‍ता में आ गई। इन हालातों में परिवर्तन के प्रति धीमा रुख अपनाने वाली कांग्रेस में प्रशांत किशोर की स्थिति मजबूत हुई है।

उल्‍लेखनीय है कि यूपी में जब पार्टी उनको लाई थी तो अंदर ही अंदर पार्टी में सवाल भी खड़े किए गए। सूत्रों के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में यूपी में प्रशांत किशोर ने 60 से भी अधिक जिलों के कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की है और उनको चेताया है कि यदि वे पार्टी का टिकट चाहते हैं तो उनके अपने निर्वाचन क्षेत्र में समर्थन करने वाले हजारों कार्यकर्ताओं की अपडेट सूची और उनका पूरा विवरण देना होगा। उन्‍होंने जिला-स्‍तर के नेताओं से अलग-अलग इलाकों में विरोधी भाजपा की तुलना में अपनी पार्टी की ताकत और कमजोरियों का लिखित ब्‍योरा भी मांगा है।

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