CBSE पेपर लीक: निष्पक्ष जांच के लिए कांग्रेस ने की प्रकाश जावड़ेकर और CBSE निदेशक को हटाने की मांग

उन्होंने सरकार पर कई सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि इस सरकार के आने के बाद दो साल तक सीबीएसई के निदेशक की पोस्ट खाली रखी गई.

CBSE पेपर लीक: निष्पक्ष जांच के लिए कांग्रेस ने की प्रकाश जावड़ेकर और CBSE निदेशक को हटाने की मांग

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला.

खास बातें

  • 'मोदी जी बताएं कि एग्जाम हो रही थी, या चिटिंग हो रही थी'
  • प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सुरजेवाला ने सरकार से पांच सवाल किये
  • क्या वजह है कि पेपर लीक होने के बाद भी CBSE बेवकूफ बनाता रहा?
नई दिल्ली:

CBSE पेपर लीक मामले में कांग्रेस पार्टी ने प्रेस को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि सरकार के संरक्षण में पेपर लीक हुआ है. उन्होंने सरकार पर कई सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि इस सरकार के आने के बाद दो साल तक सीबीएसई के निदेशक की पोस्ट खाली रखी गई. कांग्रेस पार्टी  की ओर से रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि 8 दिसंबर 2017 को गुजरात से पीएम मोदी की चहेती को अध्यक्ष बनाया गया है. उन्होंने कहा कि जब दिल्ली में पेपर लीक हो रहे हैं तब महिला निदेशक गुजरात में अपनी माउंटेयनरिंग किताब को प्रमोट करने गई हुई हैं.

सीबीएसई पेपर लीक मामले में कांग्रेस का हमलावर रुख जारी है. कांग्रेस की ओर से मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार के संरक्षण में यह लीक हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकारी संरक्षण के अंदर सारे पेपर बेच डाले गये. अब मोदी जी बताएं कि एग्जाम हो रही थी, या चिटिंग हो रही थी. 

सुरजेवाला की दो महत्वपूर्ण बातें-

उन्होंने कहा कि सीबीएसई के चेयरमैन की सीट दो सालों तक मोदी जी और स्मृति ईरानी ने खाली रखी. शिक्षकों-अभिभावकों, शिक्षण संस्थानों के भारी विरोध के बाद 27 जुलाई 2016 में सरकार ने सीबीएसई प्रमुख की नियुक्ति की, मगर पीएम मोदी ने 2017 में प्रमुख को बर्खास्त कर दिया. 

आगे कहा कि अब सीबीएसई प्रमुख वह हैं, जो मोदी जी के साथ गुजरात में कार्य करती थी, मोदी जी की चहेती हैं, उन्हें 8 सितंबर 2017 को नियुक्त कर दिया गया. क्या इस प्रकार से अपने चहेतों की नियुक्ति कर डाली, ऐसे ही सरकारें चलेंगी?

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सुरजेवाला ने सरकार से पांच सवाल किये और इसी दौरान प्रकाश जावड़ेकर और सीबीएसई निदेशक को हटाने की मांग की. 

पहला सवाल: सालों से सीबीएसई के विधार्थियों को 3 पेपर दिए जाते थे. यानी पहले का एक पेपर, दूसरे का पहले से मेल नहीं खाएगा और तीसरे का दूसरे और पहले से. यानी तीन अलग-अलग पेपर दिये जाते थे. ताकि इससे चिटिंग न हो सके. आखिर किस साजिश के तहत मोदी सरकार ने तीन पेपर की प्रैक्टिस को बंद कर दिया. चार जोन को खारिज कर एक जोन में परीक्षा करवाईं? आखिर इसके क्या कारण थे? क्या कारण है कि तीन अलग-अलग पेपर सेट करने के बदले एक ही पेपर तैयार किया. आपने चार जोन को खत्म कर एक ही में क्यों बांटा? 

दूसरा सवाल: एचआरडी और पीएम द्वारा सीबीएसई के पिछले प्रमुख का कार्यकाल छोटा क्यों कर दिया गया, और उनकी जगह ऐसे व्यक्ति को क्यों लाया गया जो मोदी जी की करीबी थीं. आखिर उनमें ऐसी क्या बात थी, जिन्हें चुना गया? आखिर क्या कारण है कि पेपर लीक होने के बाद भी सीबीएसई बेवकूफ बनाता रहा?

तीसरा सवाल: क्या यह सही है कि शिक्षा मंत्रालय और सीबीएसई के नाक के नीचे एक बहुत बड़ा शिक्षा माफिया फल-फूल रहा है?

चौथा सवाल: सीबीएसई की परीक्षा प्रणाली में पिछले कुछ सालों से अनेकों गड़बड़ियां पाईं गईं. चाहे मार्क्स की गड़बड़ी हो या मुश्किल सवाल पूछने की प्रथा. सीबीएसई से जिसे 10वीं या 12 वीं का एग्जाम संभल नहीं रहा, उन्हें नीट की जिम्मेवारी क्यों दी?

पांचवा सवाल: क्या सीबीएसई पेपर लीक की निष्पक्ष जांच नहीं होनी चाहिए? साथ ही जवाबदेही सुनिश्चित की जाए. एचआरडी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और सीबीएसई के चेयरपर्सन को हटाए बगैर इसकी निष्पक्ष जांच संभव नहीं है. इसलिए कांग्रेस उन्हें हटाने की मांग करती है. 
 


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