भागलपुर दंगे की जांच रिपोर्ट में तब की कांग्रेस सरकार, पुलिस अफसरों पर सवाल

भागलपुर दंगे की जांच रिपोर्ट में तब की कांग्रेस सरकार, पुलिस अफसरों पर सवाल

बिहार के भागलपुर शहर में पुलिस और स्थानीय लोगों की फाइल फोटो

पटना:

बिहार विधानसभा के मॉनसून सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को वर्ष 1989 में हुए भागलपुर दंगे की जांच रिपोर्ट सदन पटल पर रखा गया। जांच रिपोर्ट में इस दंगे के लिए जहां तत्कालीन कांग्रेस सरकार और उस वक्त तैनात 125 पुलिस अधिकारियों को दोषी पाया है, वहीं सरकार को कई सुझाव भी दिए गए हैं।

भागलपुर दंगे की जांच के लिए साल 2006 में रिटायर्ड जज एस. एन सिंह की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया गया था। आयोग ने नौ वर्षों बाद इस साल 28 फरवरी को जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी।

सदन पटल पर रखे गए जांच रिपोर्ट में ऐसे 85 परिवारों की पहचान की गई है, जिन्होंने दंगों के बाद भागलपुर से औने-पौने दामों पर जमीन और घर बेच कहीं दूसरी जगह चले गए हैं। रिपोर्ट में ऐसे लोगों को सरकार द्वारा फिर से भागलपुर में बसाने की अनुशंसा की गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ऐसे लोगों को एक बार फिर बसाने की कोशिश करे। रिपोर्ट में इस दंगे के लिए तत्कालीन भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी सहित 125 अधिकारियों की भी पहचान की गई है, जो इस दंगे के लिए दोषी हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है इनमें से कई अधिकारी अब बिहार के अलावे दूसरे राज्यों में हैं या फिर सेवानिवृत हो चुके हैं।

गौरतलब है कि 1989 में हुए भागलपुर दंगे में सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1000 से ज्यादा लोग मारे गए थे, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे।

रिपोर्ट पेश होने के बाद सरकार की ओर से तो कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई परंतु मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा।

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मोदी ने कहा कि रिपोर्ट से साफ है कि कांग्रेस और आरजेडी ने दंगाइयों को बचाने का काम किया है तभी 85 परिवार यहां से चले गए। उन्होंने नीतीश से पूछा कि अब सरकार ऐसे लोगों पर क्या कारवाई करेगी।