पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर रॉय ही राज्यसभा के उपसभापति पद के चुनाव के लिए विपक्ष के साझा प्रत्याशी हो सकते हैं. अगर सरकार भी इस पद के लिए प्रत्याशी उतारने का निर्णय लेती है, तो चुनाव की नौबत आना निश्चित है. वर्ष 2019 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव से पहले इस चुनाव को भी BJP से मुकाबला करने के लिए विपक्ष के एक साथ आने की संभावनाओं का टेस्ट माना जा रहा है. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने ममता बनर्जी के प्रत्याशी को ही समर्थन देने का फैसला किया है, और पार्टी राज्यसभा में खासा संख्याबल होने के बावजूद शांत रहने के लिए तैयार है.
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कांग्रेस के पीजे कुरियन छह साल तक राज्यसभा के उपसभापति रह चुके हैं. राज्यसभा में 51 सीटों के साथ कांग्रेस की स्वाभाविक दावेदारी बनती है, लेकिन पार्टी को एहसास है कि गैर-BJP प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने के लिए उन्हें तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी को समर्थन देना होगा, ताकि बीजू जनता दल और तेलंगाना राष्ट्र समिति के अहम वोट हासिल किए जा सकें, जो पहले से तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी को समर्थन दे रहे हैं. इस पद के लिए अंतिम बार चुनाव की नौबत वर्ष 1992 में आई थी. तब कांग्रेस प्रत्याशी नजमा हेपतुल्ला (जो अब BJP के साथ हैं) तथा विपक्ष की प्रत्याशी रेणुका चौधरी के बीच मुकाबला हुआ था.
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इस चुनाव में नजमा हेपतुल्ला ने रेणुका चौधरी को मिले 95 वोटों के मुकाबले 128 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. इस बार भी मुकाबला होना लगभग तय लग रहा है, क्योंकि BJP सामूहिक विपक्ष के प्रत्याशी के सामने हार स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं दिख रही है, हालांकि सत्तारूढ़ गठबंधन के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं है. नामांकन तथा चुनाव प्रक्रिया संसद के मॉनसून सत्र के दौरान होगी.
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