नई दिल्ली:
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दायर कर कहा कि उसने कोयला ब्लॉक आवंटन पर आठ मार्च की स्थिति रपट केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री अश्विनी कुमार तथा प्रधानमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ नौकरशाह के साथ साझा की थी। लेकिन 26 अप्रैल की स्थिति रपट उसने किसी से भी साझा नहीं की।
इस बीच, गुरुवार को जांच एजेंसी के निदेशक रंजीत सिन्हा की कार्मिक मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री वी. नारायणसामी से मुलाकात को लेकर सियासी तूफान खड़ा हो गया। विपक्ष ने सरकार पर सीबीआई के कार्यों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते हुए केंद्रीय कानून मंत्री का इस्तीफा मांगा तो सीबीआई निदेशक ने नारायणसामी से अपनी मुलाकात को नियमित बताया। कांग्रेस की सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का बचाव किया है।
सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा ने सर्वोच्च न्यायालय में शुक्रवार को दायर हलफनामे में कहा, "मैंने आठ मार्च की स्थिति रपट केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री से साझा की थी, क्योंकि वह चाहते थे कि न्यायालय में पेश किए जाने से पहले उन्हें इस बारे में जानकारी दी जाए।" हलफनामे में कहा गया है कि केंद्रीय मंत्री के अतिरिक्त इसे प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी के साथ भी साझा किया गया।
सीबीआई के निदेशक ने यह बात 12 मार्च के सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश के जवाब में कही, जिसमें उनसे पूछा गया था कि क्या आठ मार्च की स्थिति रपट का परीक्षण उन्होंने ठीक ढंग से किया था और क्या इसके तथ्यों को राजनीतिक कार्यकारी से साझा किया गया था?
सीबीआई के निदेशक ने हलफनामे में कहा है कि जांच एजेंसी की 26 अप्रैल की स्थिति रपट का परीक्षण उन्होंने स्वयं किया है और इसे राजनीतिक कार्यकारी सहित किसी के भी साथ साझा नहीं किया गया है।
इससे पहले, सिन्हा ने गुरुवार को केंद्रीय मंत्री नारायणसामी से उनके आवास पर मुलाकात की, जिसे लेकर राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने संवादाताओं से कहा, "कांग्रेस ने जिस तरह से सीबीआई का उपयोग तथा दुरुपयोग अपने हित में किया है, वह देश के लोकतंत्र के लिए वास्तव में एक बड़ा खतरा है।"
पार्टी ने इस मुद्दे पर कानून मंत्री का इस्तीफा भी मांगा। भाजपा के नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, "कानून मंत्री ने प्रधानमंत्री को बचाने के लिए सीबीआई की जांच रिपोर्ट को प्रभावित करने में अपने कार्यालय का गलत इस्तेमाल किया। भाजपा प्रधानमंत्री और कानून मंत्री के इस्तीफे की मांग करती है।"
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के गुरुदास दासगुप्ता ने कहा, "मुलाकात में कोई भी हैरानी वाली बात नहीं है। कांग्रेस ने समय-समय पर कई बार सीबीआई का इस्तेमाल किया है। मैं अश्विनी कुमार के कानून मंत्री के पद से तुरंत इस्तीफे की मांग करता हूं।"
वहीं, सीबीआई निदेशक ने नारायणसामी के साथ अपनी मुलाकात को नियमित करार देते हुए कहा कि वह जिससे भी मिलने की आवश्यकता समझेंगे, मिलेंगे। सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दायर करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में सिन्हा ने कहा, "वह (नारायणसामी) हमारे मंत्री हैं, उनसे मिलने में क्या समस्या है.. मैं उनसे मुलाकात जारी रखूंगा।"
यह पूछे जाने पर कि क्या कोयला घोटाले पर मसौदा रिपोर्ट में केंद्र सरकार ने कोई परिवर्तन किया, सिन्हा ने कहा, "मैं इस मुद्दे पर न्यायालय में ही बोलूंगा। न्यायालय को बताने से पहले मैं इसे सार्वजनिक नहीं कर सकता।"
सिन्हा ने गाजियाबाद में भी नारायाणसामी से अपनी मुलाकात का बचाव करते हुए कहा कि वह हर उस व्यक्ति से मिलेंगे, जिससे मिलने की उन्हें आवश्यकता होगी। वह सीबीआई अकादमी में जांच एजेंसी के कैडेट-सब इंस्पेक्टर्स के अधिष्ठापन समारोह में भाग लेने के लिए गाजियाबाद में थे। उन्होंने कहा, "वह (नारायणसामी) मेरे मंत्री हैं। मैं उनसे जब चाहूं मिल सकता हूं।"
राकांपा ने भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का बचाव किया है। पार्टी के नेता डी. पी. त्रिपाठी ने संवाददाताओं से कहा, "कानून मंत्री को कानून की जानकारी होती है, इसलिए रिपोर्ट उन्हें दिखाने में कुछ भी गलत नहीं है।"
इस बीच, गुरुवार को जांच एजेंसी के निदेशक रंजीत सिन्हा की कार्मिक मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री वी. नारायणसामी से मुलाकात को लेकर सियासी तूफान खड़ा हो गया। विपक्ष ने सरकार पर सीबीआई के कार्यों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाते हुए केंद्रीय कानून मंत्री का इस्तीफा मांगा तो सीबीआई निदेशक ने नारायणसामी से अपनी मुलाकात को नियमित बताया। कांग्रेस की सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का बचाव किया है।
सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा ने सर्वोच्च न्यायालय में शुक्रवार को दायर हलफनामे में कहा, "मैंने आठ मार्च की स्थिति रपट केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री से साझा की थी, क्योंकि वह चाहते थे कि न्यायालय में पेश किए जाने से पहले उन्हें इस बारे में जानकारी दी जाए।" हलफनामे में कहा गया है कि केंद्रीय मंत्री के अतिरिक्त इसे प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी के साथ भी साझा किया गया।
सीबीआई के निदेशक ने यह बात 12 मार्च के सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश के जवाब में कही, जिसमें उनसे पूछा गया था कि क्या आठ मार्च की स्थिति रपट का परीक्षण उन्होंने ठीक ढंग से किया था और क्या इसके तथ्यों को राजनीतिक कार्यकारी से साझा किया गया था?
सीबीआई के निदेशक ने हलफनामे में कहा है कि जांच एजेंसी की 26 अप्रैल की स्थिति रपट का परीक्षण उन्होंने स्वयं किया है और इसे राजनीतिक कार्यकारी सहित किसी के भी साथ साझा नहीं किया गया है।
इससे पहले, सिन्हा ने गुरुवार को केंद्रीय मंत्री नारायणसामी से उनके आवास पर मुलाकात की, जिसे लेकर राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने संवादाताओं से कहा, "कांग्रेस ने जिस तरह से सीबीआई का उपयोग तथा दुरुपयोग अपने हित में किया है, वह देश के लोकतंत्र के लिए वास्तव में एक बड़ा खतरा है।"
पार्टी ने इस मुद्दे पर कानून मंत्री का इस्तीफा भी मांगा। भाजपा के नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, "कानून मंत्री ने प्रधानमंत्री को बचाने के लिए सीबीआई की जांच रिपोर्ट को प्रभावित करने में अपने कार्यालय का गलत इस्तेमाल किया। भाजपा प्रधानमंत्री और कानून मंत्री के इस्तीफे की मांग करती है।"
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के गुरुदास दासगुप्ता ने कहा, "मुलाकात में कोई भी हैरानी वाली बात नहीं है। कांग्रेस ने समय-समय पर कई बार सीबीआई का इस्तेमाल किया है। मैं अश्विनी कुमार के कानून मंत्री के पद से तुरंत इस्तीफे की मांग करता हूं।"
वहीं, सीबीआई निदेशक ने नारायणसामी के साथ अपनी मुलाकात को नियमित करार देते हुए कहा कि वह जिससे भी मिलने की आवश्यकता समझेंगे, मिलेंगे। सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दायर करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में सिन्हा ने कहा, "वह (नारायणसामी) हमारे मंत्री हैं, उनसे मिलने में क्या समस्या है.. मैं उनसे मुलाकात जारी रखूंगा।"
यह पूछे जाने पर कि क्या कोयला घोटाले पर मसौदा रिपोर्ट में केंद्र सरकार ने कोई परिवर्तन किया, सिन्हा ने कहा, "मैं इस मुद्दे पर न्यायालय में ही बोलूंगा। न्यायालय को बताने से पहले मैं इसे सार्वजनिक नहीं कर सकता।"
सिन्हा ने गाजियाबाद में भी नारायाणसामी से अपनी मुलाकात का बचाव करते हुए कहा कि वह हर उस व्यक्ति से मिलेंगे, जिससे मिलने की उन्हें आवश्यकता होगी। वह सीबीआई अकादमी में जांच एजेंसी के कैडेट-सब इंस्पेक्टर्स के अधिष्ठापन समारोह में भाग लेने के लिए गाजियाबाद में थे। उन्होंने कहा, "वह (नारायणसामी) मेरे मंत्री हैं। मैं उनसे जब चाहूं मिल सकता हूं।"
राकांपा ने भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का बचाव किया है। पार्टी के नेता डी. पी. त्रिपाठी ने संवाददाताओं से कहा, "कानून मंत्री को कानून की जानकारी होती है, इसलिए रिपोर्ट उन्हें दिखाने में कुछ भी गलत नहीं है।"
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