यह ख़बर 27 अगस्त, 2012 को प्रकाशित हुई थी

प्रधानमंत्री ने दी सफाई पर भाजपा नहीं मानी

खास बातें

  • प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कोयला ब्लॉक आवंटन पर संसद में सफाई देते हुए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट को खारिज कर दिया और उसे 'विवादास्पद' एवं 'गलत' करार दिया। प्रधानमंत्री अपने बयान से हालांकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को संतुष्ट नहीं
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कोयला ब्लॉक आवंटन पर संसद में सफाई देते हुए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट को खारिज कर दिया और उसे 'विवादास्पद' एवं 'गलत' करार दिया। प्रधानमंत्री अपने बयान से हालांकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को संतुष्ट नहीं कर पाए। भाजपा अब भी उनके इस्तीफे की मांग पर अड़ी हुई है। पार्टी ने कहा है कि इस कथित घोटाले से कांग्रेस ने 'मोटा माल' कमाया है।

सीएजी की रिपोर्ट पर लोकसभा और राज्यसभा में अपने बयान में मनमोहन सिंह ने अपना तथा अपनी सरकार का बचाव किया। उन्होंने कहा, "मैं सदस्यों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि कोयला मंत्रालय का प्रभार मेरे पास होने के नाते मैं इस मंत्रालय के सभी निर्णयों की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं। मैं कहना चाहता हूं कि अनियमितता का कोई भी आरोप निराधार एवं तथ्यहीन है।"

भाजपा के सदस्यों के हंगामे के कारण प्रधानमंत्री का बयान लोकसभा और राज्यसभा में नहीं सुना जा सका। भाजपा सीएजी की रिपोर्ट पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इस्तीफे की मांग कर रही है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि कोयला ब्लॉक के आवंटन में पारदर्शिता नहीं बरते जाने के कारण सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

सीएजी की रिपोर्ट को 'विवादास्पद' व 'गलत' करार देते हुए प्रधानमंत्री ने इसे संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष चुनौती देने की बात कही। संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा, "मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारा पक्ष मजबूत व विश्वसनीय है। सीएजी का आकलन विवादास्पद है और हम इसे पीएसी के समक्ष चुनौती देंगे।" उन्होंने विपक्षी दल भाजपा से कहा कि वह संसद की कार्यवाही चलने दे। उन्होंने कहा कि वह इस बात से दुखी हैं कि संसद के दोनों सदनों में कामकाज नहीं होने दिया जा रहा और भाजपा संसद की कार्यवाही नहीं चलने देने के लिए प्रतिबद्ध है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें संसद में अपनी बात रखने तथा लोगों तक इसे पहुंचाने का मौका मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि आम तौर पर वह अपनी प्रायोजित आलोचनाओं का जवाब नहीं देते। लेकिन इस बार वह अपनी बात रखने देने का मौका चाहते हैं।

प्रधानमंत्री के बयान पर निराशा जताते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी गांधीनगर में संवाददाताओं से कहा, "प्रधानमंत्री ने यदि किसी पर हमला किया है तो वह सीएजी है। यह आश्चर्यचकित करने वाला है। उनके इस बयान से हमें निराशा हुई है।"

इस बीच, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नैतिक जिम्मेदारी लें। राजस्व को हुए नुकसान के लिए प्रधानमंत्री जिम्मेदार हैं। इसलिए हम चाहते हैं कि वह इस्तीफा दें।" उन्होंने कहा कि बगैर नीलामी के जिन निजी कम्पनियों को कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए, उन्हें रद्द किए जाए और नए सिरे से उनकी नीलामी हो।

सुषमा ने कहा कि सीएजी ने कोयला ब्लॉक आवंटन में जिस राजस्व के नुकसान की बात कही है, उससे कांग्रेस ने 'मोटा माल' कमाया है। जेटली ने इस अवसर पर कहा कि प्रधनमंत्री को पूरे प्रकरण के लिए विशेष जिम्मेदारी लेनी चाहिए और इस्तीफा देना चाहिए जिसके चलते कि संसद ठप पड़ी है। भाजपा नेताओं का यह बयान उस वक्त आया जब कुछ ही घंटे पहले प्रधानमंत्री ने संसद में इस मसले पर बयान दिया।

जेटली ने कहा कि सरकार को निजी कम्पनियों को दिए सभी 142 कोयला ब्लॉक आवंटनों को रद्द कर नए सिरे से नीलामी आरम्भ करनी चाहिए। उन्होंने कहा, "ऐसा किया जाएगा तभी सच्चाई का पता लगेगा और पता चलेगा कि प्रधानमंत्री के बयान में कितनी सच्चाई है। आवंटन इसलिए रद्द किया जाना चाहिए क्योंकि भ्रष्ट तरीके से जनता के लूटे गए पैसों से मजा लेने की अनुमति किसी को भी नहीं दी जा सकती।"

संसद में दिए गए प्रधानमंत्री के बयान की निंदा करते हुए जेटली ने कहा, "कांग्रेस की यही प्रवृति रही है कि यदि आप सीएजी को बदल नहीं सकते तो उसका अपमान करो।" उन्होंने कहा, "पहले तो प्रधानमंत्री ने सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर ली और फिर धीरे-धीरे सारी जिम्मेदारी किसी और पर मढ़ दी।" उन्होंने इसके लिए संघीय व्यवस्था, शासन की संसदीय प्रणाली, कानून मंत्रालय और सीएजी पर ठीकरा फोड़ डाला।

सुषमा ने इस बीच यह जानकारी दी कि 1993 से 2005 के बीच यदि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के छह वर्षो के कार्यकाल के दौरान 70 कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए तो कांग्रेस के नेतृत्व में संप्रग सरकार ने 2006 से 2010 के बीच 142 कोयला ब्लॉक आवंटित किए।

सुषमा ने उन खबरों को भी गलत बताया जिनमें कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग के मुद्दे पर राजग के घटक दलों में मतभेद है। उन्होंने ऐलान किया, "भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में यदि भाजपा को अकेले ही चलना पड़े तो हम वह लड़ाई लड़ेंगे।"

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा है कि सीएजी ने जिन कोयला ब्लॉक आवंटनों को दोषपूर्ण पाया है, उसे रद्द कर उनकी नीलामी की जाए। माकपा नेता सीतराम येचुरी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के उस दावे को भी खारिज किया जिसमें उन्होंने कहा था कि पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने कोयला ब्लॉक की नीलामी का विरोध किया था और उसके आवंटन की मांग की थी।

येचुरी ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि 2004 से जब से कांग्रेस सत्ता में आई है तब से लेकर अब तक जितनी भी निजी कम्पनियों को कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए हैं, उन्हें रद्द किया जाए। "इनकी नीलामी की जा सकती है।" उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जो भी कारण गिनाए उनमें इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि जून 2004 से इस साल के अगस्त तक क्यों नहीं पारदर्शी या प्रतियोगी नीलामी प्रक्रिया अपनाई गई।

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इससे पहले, सोमवार को लगातार पांचवें दिन विपक्ष के हंगामे के चलते कोई कामकाज नहीं हो सका। हंगामे के बीच ही प्रधानमंत्री ने दोनों सदनों में अपना बयान दिया। बयान के बावजूद हंगामा जारी रहने के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही तीन बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।