नई दिल्ली:
बाल श्रमू कानून में बड़े बदलाव करते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज 14 साल से कम उम्र के बच्चों को 'जोखिम-रहित' पारिवारिक व्यवसाय, मनोरंजन उद्योग और खेल गतिविधियों में काम करने को मंजूरी दे दी। बच्चों को इन कामों में विद्यालय समय के बाद काम पर लगाया जा सकेगा। इसके साथ ही अभिभावकों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई में भी ढील दी गई है।
बाल अधिकार कार्यकर्ता जहां बाल श्रम पर पूरी तरह रोक लगाने की मांग करते रहे हैं, वहीं सरकार ने कहा है, 'इस तरह का कोई भी फैसला करने से पहले देश के सामाजिक ताने बाने तथा सामाजिक-आर्थिक हालात को भी ध्यान में रखना समझदारी होगी।' हालांकि, नए संशोधनों के तहत बाल श्रम को संज्ञेय अपराध बनाने का प्रस्ताव किया गया है तथा कानून का उल्लंघन कर 14 साल से कम आयु के बच्चों को काम पर रखने वालों के लिए दंड बढाने का भी प्रस्ताव है।
इसके तहत दोषियों के लिए जेल की सजा बढ़ाकर तीन साल तक करने का प्रावधान किया जा रहा है। वहीं नए कानून के तहत हर बार अपराध के लिए 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
हालांकि, अभिभावकों और माता-पिता को पहले अपराध पर कोई सजा नहीं दी जाएगी, लेकिन दूसरे व बाद के अपराध के लिए अधिकतम जुर्माना 10,000 रुपये होगा।
हालांकि, बाल श्रम कार्यकर्ताओं और विपक्ष ने इन संशोधनों की आलोचना की है। कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने ट्वीट किया, 'बाल श्रम को आंशिक रूप से कानूनन बनाने का सरकार का यह कदम उलटा है। यह शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है और न्यायपूर्ण समाज बनने की हमारी आकांक्षाओं की हार है।'
मौजूदा कानूनों के तहत नियोक्ता व अभिभावकों के लिए समान दंड का प्रावधान है, जिसमें दो साल तक की जेल व अधिकतम 20,000 रुपये तक का जुर्माना शामिल है।
हालांकि, जो प्रतिबंध है वह सभी तरह के रोजगारों पर लागू होगा केवल गैर जोखिम वाले पारिवारिक काम धंधों, मनोरंजन उद्योग (फिल्म, विज्ञापन और टीवी धारावाहिक) तथा खेल गतिविधियां (सर्कस के अलावा) को छोड़कर।
संशोधनों को उचित बताते हुए सरकारी बयान में कहा, 'बहुत से परिवारों में बच्चे कृषि, शिल्प जैसे पेशों में अपने माता-पिता की मदद करते हैं और उनकी मदद करते हुए बच्चे भी इन पेशों की बारीकियां सीखते हैं।'
आधिकारिक बयान में कहा गया 'इसलिए बच्चे की शिक्षा की जरूरत ओर देश की वास्तविक सामाजिक-आर्थिक स्थिति और सामाजिक ताने-बाने की वास्तविकता के बीच संतुलन बिठाते हुए मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है कि बच्चा स्कूल की अवधि के बाद या छुट्टियों के दौरान जोखिम रहित पेशे या प्रक्रिया में अपने परिवार या पारिवारिक उद्यमों में मदद कर सकता है।
बाल अधिकार कार्यकर्ता जहां बाल श्रम पर पूरी तरह रोक लगाने की मांग करते रहे हैं, वहीं सरकार ने कहा है, 'इस तरह का कोई भी फैसला करने से पहले देश के सामाजिक ताने बाने तथा सामाजिक-आर्थिक हालात को भी ध्यान में रखना समझदारी होगी।' हालांकि, नए संशोधनों के तहत बाल श्रम को संज्ञेय अपराध बनाने का प्रस्ताव किया गया है तथा कानून का उल्लंघन कर 14 साल से कम आयु के बच्चों को काम पर रखने वालों के लिए दंड बढाने का भी प्रस्ताव है।
इसके तहत दोषियों के लिए जेल की सजा बढ़ाकर तीन साल तक करने का प्रावधान किया जा रहा है। वहीं नए कानून के तहत हर बार अपराध के लिए 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
हालांकि, अभिभावकों और माता-पिता को पहले अपराध पर कोई सजा नहीं दी जाएगी, लेकिन दूसरे व बाद के अपराध के लिए अधिकतम जुर्माना 10,000 रुपये होगा।
हालांकि, बाल श्रम कार्यकर्ताओं और विपक्ष ने इन संशोधनों की आलोचना की है। कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने ट्वीट किया, 'बाल श्रम को आंशिक रूप से कानूनन बनाने का सरकार का यह कदम उलटा है। यह शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है और न्यायपूर्ण समाज बनने की हमारी आकांक्षाओं की हार है।'
मौजूदा कानूनों के तहत नियोक्ता व अभिभावकों के लिए समान दंड का प्रावधान है, जिसमें दो साल तक की जेल व अधिकतम 20,000 रुपये तक का जुर्माना शामिल है।
हालांकि, जो प्रतिबंध है वह सभी तरह के रोजगारों पर लागू होगा केवल गैर जोखिम वाले पारिवारिक काम धंधों, मनोरंजन उद्योग (फिल्म, विज्ञापन और टीवी धारावाहिक) तथा खेल गतिविधियां (सर्कस के अलावा) को छोड़कर।
संशोधनों को उचित बताते हुए सरकारी बयान में कहा, 'बहुत से परिवारों में बच्चे कृषि, शिल्प जैसे पेशों में अपने माता-पिता की मदद करते हैं और उनकी मदद करते हुए बच्चे भी इन पेशों की बारीकियां सीखते हैं।'
आधिकारिक बयान में कहा गया 'इसलिए बच्चे की शिक्षा की जरूरत ओर देश की वास्तविक सामाजिक-आर्थिक स्थिति और सामाजिक ताने-बाने की वास्तविकता के बीच संतुलन बिठाते हुए मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है कि बच्चा स्कूल की अवधि के बाद या छुट्टियों के दौरान जोखिम रहित पेशे या प्रक्रिया में अपने परिवार या पारिवारिक उद्यमों में मदद कर सकता है।
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