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This Article is From Sep 07, 2019

मिशन चंद्रयान 2 : क्या 'विक्रम' भेजेगा कोई संदेश, बची है कितनी उम्मीद?

चंद्रयान-2 मिशन से जुड़े एक वरिष्ठ इसरो अधिकारी ने शनिवार को कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने 'विक्रम' लैंडर और उसमें मौजूद 'प्रज्ञान' रोवर को संभवत: खो दिया है.  इससे पहले लैंडर जब चंद्रमा की सतह के नजदीक जा रहा था तभी निर्धारित सॉफ्ट लैंडिंग से चंद मिनटों पहले उसका पृथ्वी स्थित नियंत्रण केंद्र से सपंर्क टूट गया.

मिशन चंद्रयान 2  : क्या 'विक्रम' भेजेगा कोई संदेश, बची है कितनी उम्मीद?
लैंड करने के कुछ मिनट पहले विक्रम से संपर्क टूट गया है.
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विक्रम से संपर्क होने की उम्मीद नहीं
इसरो के वैज्ञानिक ने कहा
यह लगभग समाप्त हो गया
नई दिल्ली:

चंद्रयान-2 मिशन से जुड़े एक वरिष्ठ इसरो अधिकारी ने शनिवार को कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने 'विक्रम' लैंडर और उसमें मौजूद 'प्रज्ञान' रोवर को संभवत: खो दिया है.  इससे पहले लैंडर जब चंद्रमा की सतह के नजदीक जा रहा था तभी निर्धारित सॉफ्ट लैंडिंग से चंद मिनटों पहले उसका पृथ्वी स्थित नियंत्रण केंद्र से सपंर्क टूट गया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के अध्यक्ष के़ सिवन ने कहा, 'विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक सामान्य तरीके से नीचे उतरा. इसके बाद लैंडर का धरती से संपर्क टूट गया. आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है.' चंद्रयान-2 मिशन से करीब से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'लैंडर से कोई संपर्क नहीं है. यह लगभग समाप्त हो गया है. कोई उम्मीद नहीं है. लैंडर से दोबारा संपर्क स्थापित करना बहुत ही मुश्किल है.' चंद्रयान-2 मिशन के तहत भेजा गया 1,471 किलोग्राम वजनी लैंडर 'विक्रम' भारत का पहला मिशन था जो स्वदेशी तकनीक की मदद से चंद्रमा पर खोज करने के लिए भेजा गया था। लैंडर का यह नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ.विक्रम ए साराभाई पर दिया गया था. 

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इसे चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए डिजाइन किया गया था और इसे एक चंद्र दिवस यानी पृथ्वी के 14 दिन के बराबर काम करना था। लैंडर विक्रम के भीतर 27 किलोग्राम वजनी रोवर 'प्रज्ञान' था. सौर ऊर्जा से चलने वाले प्रज्ञान को उतरने के स्थान से 500 मीटर की दूरी तक चंद्रमा की सतह पर चलने के लिए बनाया गया था.    इसरो के मुताबिक लैंडर में सतह और उपसतह पर प्रयोग करने के लिए तीन उपकरण लगे थे जबकि चंद्रमा की सहत को समझने के लिए रोवर में दो उपकरण लगे थे. मिशन में ऑर्बिटर की आयु एक साल है.

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वहीं  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि वे मिशन में आई रुकावटों के कारण अपना दिल छोटा नहीं करें, क्योंकि नई सुबह जरूर होगी.  प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से कहा, 'हर मुश्किल, हर संघर्ष, हर कठिनाई, हमें कुछ नया सिखाकर जाती है, कुछ नए आविष्कार, नई टेक्नोलॉजी के लिए प्रेरित करती है और इसी से हमारी आगे की सफलता तय होती हैं. ज्ञान का अगर सबसे बड़ा शिक्षक कोई है तो वो विज्ञान है.' इसरो के मिशन कंट्रोल सेंटर से प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, 'विज्ञान में विफलता नहीं होती, केवल प्रयोग और प्रयास होते हैं.' उन्होंने कहा, 'हमें सबक लेना है, सीखना है. हम निश्चित रूप से सफल होंगे. कामयाबी हमारे साथ होगी. ' मोदी ने कहा, 'हम निश्चित रूप से सफल होंगे. इस मिशन के अगले प्रयास में भी और इसके बाद के हर प्रयास में भी कामयाबी हमारे साथ होगी.' उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा, 'आपने पल-पल परिश्रम के साथ इसे आगे बढ़ाया था. आज भले ही कुछ रूकावटें आई हो, लेकिन इससे हमारा हौसला कमजोर नहीं पड़ा है बल्कि और मजबूत हुआ है. 

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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