पीएम मोदी की नई कैबिनेट ही तय करेगी 2019 का रास्ता, सामने खड़ी हैं ये चुनौतियां

रविवार को होने वाला मंत्रिमंडल में फेरबदल पार्टी और मोदी सरकार के लिए काफी अहम साबित होगा.

पीएम मोदी की नई कैबिनेट ही तय करेगी 2019 का रास्ता, सामने खड़ी हैं ये चुनौतियां

2019 के लोकसभा चुनाव में जुटी बीजेपी के सामने मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनाने का वक्त आ गया है

खास बातें

  • नई कैबिनेट के सामने होंगी कई चुनौतियां
  • रोजगार पैदा करने के लिए करना होगा काम
  • रेल दुर्घटना रोकने के लिए उठाने होंगे कदम
नई दिल्ली:

2019 के तैयारी में जुटी बीजेपी के सामने अब मोदी सरकार की उपलब्धि गिनाने का वक्त आ गया है. ऐसे में रविवार को होने वाला मंत्रिमंडल में फेरबदल पार्टी और मोदी सरकार के लिए काफी अहम साबित होगा. नए मंत्रियों के सामने अच्छी-खासी चुनौतियां सामने खड़ी हैं, इस नए मंत्रिमंडल का प्रदर्शन ही बीजेपी के लिए 2019 का रास्ता तय करेगा. सूत्रों के मुताबिक 10 नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी इनमे कई नाम चौंकाने वाले हो सकते हैं और जिन मंत्रियों को हटाया गया है उनको संगठन में भेजा जाएगा. 

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क्या है मोदी सरकार के सामने चुनौतियां

1- नौकरियां के अवसर पैदा करना
बीते 3 साल में मोदी सरकार बेरोजगारी खत्म करने के मुद्दे पर कुछ खास नहीं कर पाई है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने करोड़ो रोजगार के अवसर पैदा करने का वादा किया था.

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2- मंत्रियों में आपसी सामजस्य
ऐसा कई बार देखा गया है जब पार्टी या सरकार के प्रवक्ता एक ही मुद्दे पर अलग-अलग बातें बोलते रहे हैं. फिर चाहे किसानों की खुदकुशी या फिर फसल बीमा योजना रहा हो. हाल ही में नोटबंदी के मुद्दे पर भी मंत्री, आरबीआई और खुद पीएम भी अलग-अलग आंकड़े नजर देते नजर आए. 

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3- अर्थव्यस्था को संभालना बड़ी चुनौती
 नोटबंदी और जीएसटी के बाद से अर्थव्यवस्था की हालत खराब हो रही है. कई विशेषज्ञों का दावा है कि भारत मंदी की ओर धीरे-धीरे बढ़ रहा है. अगर अगले 6 महीने में इसकी हालत में सुधार नहीं आया तो सरकार के सामने बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा जो चुनावी साल के लिए किसी भी लिहाज से ठीक नहीं होगा.

5- रेल दुर्घटनाओं पर लगाम
 जब सुरेश प्रभु रेल मंत्री बनाए गए थे तो सबको उम्मीद थी कि भारतीय रेल में सब कुछ बदल जाएगा लेकिन बीते तीन सालों में भीषण दुर्घटनाओं ने रेलवे विभाग की पोल की खोल कर रख दी है. यह भी तय है कि रविवार को शपथ ग्रहण के बाद देश को नया रेल मंत्री मिल जाएगा. उसके सामने यही चुनौती होगी कि कम से कम आने वाले 2 सालों में कोई दुर्घटना न हो.
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6- कल्याणकारी योजनाओं को तेजी से लागू करने की चुनौती
देश के ज्यादातर हिस्सों में इस समय बीजेपी या उसकी के समर्थन से सरकारें चल रही हैं. केंद्र की ओर चलाई जा रही हैं योजनाओं को लागू करने में कम से कम इन राज्यों में दिक्कत नहीं होनी चाहिए. मंत्रिमंडल के सामने यही बड़ी चुनौती है क्योंकि अगर अब भी फाइलें अटकना जारी रहा तो कोई बहाना नहीं चलेगा.
 


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