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This Article is From Mar 28, 2012

बलवंत सिंह राजोआना की फांसी पर फिलहाल रोक लगी

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की फांसी पर फिलहाल रोक लगा दी है। राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल से आज पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल इसी मामले में मिले और फांसी पर रोक की अपील की थी। कहा जा रहा है कि यह रोक सुप्रीम कोर्ट में दया याचिका दायर होने तक लगा दी गई है। बलवंत सिंग को 31 मार्च को फांसी पर लटकाया जाना था।

इस मामले में राष्ट्रपति से मिलने के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि राष्ट्रपति ने हमारी अपील और अकाल तख्त द्वारा की गई दया याचिक पर यह कार्रवाई की है। इसी के साथ उन्होंने पंजाब के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है और कहा कि लोग शांति के साथ कानून का पालन करें। ऐसा न करने वालों को कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी नेता द्वय ने दी।

गौरतलब है कि सरकार ने यह कदम पंजाब की स्थिति को देखते हुए उठाया है। 31 मार्च को बेअंत सिंह को फांसी दी जानी थी। बता दें कि आज ही शाम को अकाल तख्त ने फांसी के विरोध में लोगों से कल मार्च निकालने की अपील की थी।

इससे पहले खबर थी कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में दोषी ठहराये गए बलवंत सिंह राजोआना को तय कार्यक्रम के मुताबिक 31 मार्च को फांसी पर लटकाये जाने के सत्र अदालत के आदेश के एक दिन बाद बुधवार को इस आदेश के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में कोई याचिका दायर नहीं की गई।

पटियाला जेल अधीक्षक एलएस जाखड़ और पंजाब सरकार, दोनों में से किसी ने भी अभी तक इस आदेश के खिलाफ अपील दायर नहीं की है। जाखड़ ने मृत्युदंड को स्थगित किए जाने की मांग को लेकर अदालत में याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया।

पंजाब के अतिरिक्त महाधिवक्ता जनरल अनूपिंदर सिंह ग्रेवाल ने कहा, ‘हमने उच्च न्यायालय में कोई याचिका दायर नहीं की है।’ गौरतलब है कि कल उन्होंने संवाददताओं से कहा था कि चंडीगढ़ स्थित अदालत के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार उच्च न्यायालय का रूख करेगी। उन्होंने बताया कि उन्हें अदालत से ‘सर्टिफाइड कॉपी’ देर से प्राप्त हुई।

यह पूछे जाने पर कि क्या वे लोग कल याचिका दायर करेंगे? इस पर ग्रेवाल ने कहा, ‘फिलहाल मैं नहीं कह सकता कि ऐसा कब किया जाएगा।’ यहां की एक सत्र अदालत ने कल राजोआना को तय कार्यक्रम के मुताबिक 31 मार्च को फांसी पर लटकाने का आदेश दिया था।

जेल अधीक्षक की याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने मृत्युदंड वारंट को अनुपालन के लिए लौटा दिया था। न्यायाधीश ने न्यायालय की अवमानना करने को लेकर जेल अधीक्षक को एक कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था।

इससे पहले बुधवार को दिन में पंजाब के महाधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने कहा कि एसजीपीसी ने राष्ट्रपति को एक दया याचिका भेजी है। उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि यह अनुचित होगा और उसे फांसी पर लटकाना सही नहीं होगा। जब तक याचिका पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक मृत्युदंड को स्थगित रखा जाना चाहिए। महाधिवक्ता ने कहा कि पहले ऐसा कई बार हुआ है, जब राष्ट्रपति को दया याचिका भेजे जाने के बाद दोषी के मृत्युदंड को स्थगित कर दिया गया।

यह कहे जाने पर कि राजोआना ने खुद न तो कोई राहत मांगी है और न ही दया याचिका दायर की है, इस पर उन्होंने कहा, ‘व्यक्ति (आरोपी या दोषी) जो कह रहा है, उसके मुताबिक संज्ञान लेने के लिए राष्ट्रपति या अदालतें बाध्य नहीं है।’

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