नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के हालात सुधारने के लिए ज़िम्मेदारी राज्य की पीडीपी-बीजेपी सरकार को सौंपी है, मगर सूत्रों के अनुसार केंद्र अब ज़्यादा इंतज़ार नहीं करेगा. सूत्रों के अनुसार केंद्र अब कड़ा फैसला करने की तैयारी में है. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह दो दिन के दौरे पर जम्मू-कश्मीर में हैं, और उनकी वापसी के बाद केंद्र सरकार इस बारे में फैसला करेगी.
इस महीने के अंत तक जम्मू-कश्मीर में चल रही अशांति को 50 दिन से ऊपर हो जाएंगे. क़ानून-व्यवस्था राज्य का मुद्दा है और राज्य सरकार ने अपनी ओर से कई कदम उठाए हैं. केंद्र सरकार लगातार इन क़दमों पर नजर रख रही है. गृहमंत्री राजनाथ सिंह का दौरा इस मायने में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा के दौरान राज्य सरकार की ओर से अब तक उठाए गए क़दमों की भी समीक्षा की जा सकती है. गृहमंत्री की वापसी के बाद केंद्र सरकार आगे की कार्रवाई के बारे में फैसला करेगी.
माना जा रहा है कि केंद्र सरकार ने अपनी ओर से ऐसे 80 लोगों की सूची तैयार की है, जो राज्य में अशांति फैलाने और बच्चों-युवाओं को भड़काने में लगे हुए हैं. अब यह अपेक्षा है कि राज्य सरकार इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी. ऐसा होने पर हालात क़ाबू में आने में ज़्यादा वक्त नहीं लगेगा.
उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक केंद्र के सामने कई विकल्प हैं. इनमें एक विकल्प वहां राज्यपाल शासन लगाना भी हो सकता है. इसके अलावा राज्यपाल को बदलना भी एक विकल्प है, जिस पर विचार किया जा रहा है.
सुरक्षा एजेंसियों का आकलन है कि दक्षिणी कश्मीर में जिन राजनीतिक दलों का जनाधार है, उनके वहां हस्तक्षेप करने से हालात क़ाबू में आ सकते हैं. ऐसे में इन दलों से अपेक्षा की जा रही है कि वे अपनी ओर से पहल करें.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राज्य के विपक्षी दलों के नेताओं की मुलाकात को इस दिशा में काफी सकारात्मक पहल माना जा रहा है. गृहमंत्री राजनाथ सिंह का दौरा इसी मुलाकात के बाद हुआ है.