केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से ऑक्सीजन की कमी के कारण होने वाली मौतों का डेटा मांगा है. केंद्र की ओर से राज्यों को इस बारे में लेटर लिखा गया है.सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. सूत्र बताते हैं कि यह डेटा एकत्रित करके 13 अगस्त को समाप्त हो रहे संसद के मॉनसून सत्र में पेश किया जाएगा.गौरतलब है कि देश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत का कोई भी आंकड़ा राज्यों से नहीं मिलने संबंधी संसद के मॉनसून सत्र के दौरान दिए गए जवाब को लेकर केंद्र सरकार को विपक्षी दलों की आलोचना का सामना करना पड़ा था. आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा था.
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दरअसल, राज्यसभा (Rajya Sabha)में मंगलवार को दिए लिखित जवाब में स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा था कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है और राज्य, केंद्र सरकार को नियमित तौर पर कोरोना के मामले और मौतों की जानकारी देते रहते हैं. लेकिन राज्यों ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर केंद्र सरकार को कोई विशेष आंकड़ा नहीं दिया है. स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने संसद को बताया था कि प्रधानमंत्री जी लगातार राज्यों से कहते रहे हैं कि कोरोना से हुई मौतों का रजिस्टर किया जाए, छिपाने का कोई कारण नहीं है. यह राज्यों की जिम्मेदारी है. हम राज्यों की ओर से प्रदान किए गए डेटा को संकलित करते हैं. केंद्र सरकार को यही करना होता है.
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दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन ने कहा था कि ऑक्सीजन की कमी से देश में बहुत सारी मौतें हुईं. दिल्ली में भी ऐसा वाकया देखने को मिला. यह कहना एकदम गलत है कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई. अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो अस्पताल हाईकोर्टों का दरवाजा क्यों खटखटाते. केंद्र सरकार तो यह भी कह सकती है कि देश में कोई महामारी आई ही नहीं. शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी इस बयान को लेकर केंद्र सरकार को घेरा था. राउत ने कहा था, 'मैं स्तब्ध हूं, उन परिवारों के लिए जिनके अपने मेडिकल ऑक्सीजन की कमी की वजह से दुनिया से चले गए. उन परिवारों को यह सुनकर कैसा लगा होगा. इन परिवारों को सरकार के खिलाफ मुकदमा दाखिल करना चाहिए.'
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