कोर्ट से बाहर आते दोषी सजल चक्रवर्ती
रांची:
संयुक्त बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में रांची सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाला मामले में पहले ही दोषी करार दिये जा चुके झारखण्ड के पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती को विशेष अदालत के जज शंभूलाल साहू ने पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनायी. साथ ही चार लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. जुर्माने की राशि नहीं दिये जाने पर एक वर्ष अतिरिक्त सजा काटनी होगी.
सजल चक्रवर्ती के वकील ने कोर्ट से कहा कि उनके मुवक्किल की खराब सेहत के मद्देनजर उन्हें सजा में रियायत मिलनी चाहिए. इतना ही नहीं, वकील ने चारा घोटाला में दोषी करार दिये जा चुके सजल चक्रवर्ती की पारिवारिक पृष्ठभूमि और उनके कैरेक्टर का भी हवाला दिया. उन्होंने कहा कि वह संभ्रांत परिवार से आते हैं और उनका चरित्र बेदाग है. इसलिए कोर्ट को उनके प्रति नरमी बरतनी चाहिए.
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सीबीआई के वकील ने सजल चक्रवर्ती के वकील की दलीलों का कड़ा प्रतिवाद किया. उन्होंने कहा कि आईएएस अधिकारी सरकार के नुमाइंदे होते हैं. ऐसे लोग यदि भ्रष्ट आचरण में लिप्त पाये जाते हैं, तो उनके प्रति कोई नरमी नहीं बरती जानी चाहिए. ऐसे अधिकारियों को कठोरतम दंड दिया जाना चाहिए.
गौरतलब है कि चारा घोटाला मामले में चाईबासा कोषागार से अवैध तरीके से 33.70 करोड़ रुपये की निकासी हुआ था और उस समय सजल चक्रवर्ती चाईबासा के उपायुक्त थे. जानकारी होने के बावजूद दोषियों पर कार्रवाई नहीं करने, चारा घोटाला के आरोपियों से रिश्वत लेने का आरोप था. इस मामले में बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्रा को 2013 में ही सजा सुनायी जा चुकी है.
यह भी पढ़ें - चारा घोटाला मामला : लालू, जगन्नाथ मिश्रा सीबीआई अदालत में पेश
हाईकोर्ट ने सजल चक्रवर्ती को इस मामले में बरी कर दिया था. इसके बाद सीबीआई सुप्रीम कोर्ट गयी थी. इसके बाद उनके खिलाफ फिर से सुनवाई शुरू हुई और विशेष सीबीआई जज द्वारा चारा घोटाला मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद सजल को जेल भेज दिया गया. हालांकि, इसके पहले हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद से वह बेल पर थे.
IDEO: चारा घोटाला मामला : सीबीआई कोर्ट में पेश हुए लालू प्रसाद यादव
सजल चक्रवर्ती के वकील ने कोर्ट से कहा कि उनके मुवक्किल की खराब सेहत के मद्देनजर उन्हें सजा में रियायत मिलनी चाहिए. इतना ही नहीं, वकील ने चारा घोटाला में दोषी करार दिये जा चुके सजल चक्रवर्ती की पारिवारिक पृष्ठभूमि और उनके कैरेक्टर का भी हवाला दिया. उन्होंने कहा कि वह संभ्रांत परिवार से आते हैं और उनका चरित्र बेदाग है. इसलिए कोर्ट को उनके प्रति नरमी बरतनी चाहिए.
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सीबीआई के वकील ने सजल चक्रवर्ती के वकील की दलीलों का कड़ा प्रतिवाद किया. उन्होंने कहा कि आईएएस अधिकारी सरकार के नुमाइंदे होते हैं. ऐसे लोग यदि भ्रष्ट आचरण में लिप्त पाये जाते हैं, तो उनके प्रति कोई नरमी नहीं बरती जानी चाहिए. ऐसे अधिकारियों को कठोरतम दंड दिया जाना चाहिए.
गौरतलब है कि चारा घोटाला मामले में चाईबासा कोषागार से अवैध तरीके से 33.70 करोड़ रुपये की निकासी हुआ था और उस समय सजल चक्रवर्ती चाईबासा के उपायुक्त थे. जानकारी होने के बावजूद दोषियों पर कार्रवाई नहीं करने, चारा घोटाला के आरोपियों से रिश्वत लेने का आरोप था. इस मामले में बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्रा को 2013 में ही सजा सुनायी जा चुकी है.
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हाईकोर्ट ने सजल चक्रवर्ती को इस मामले में बरी कर दिया था. इसके बाद सीबीआई सुप्रीम कोर्ट गयी थी. इसके बाद उनके खिलाफ फिर से सुनवाई शुरू हुई और विशेष सीबीआई जज द्वारा चारा घोटाला मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद सजल को जेल भेज दिया गया. हालांकि, इसके पहले हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद से वह बेल पर थे.
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