नई दिल्ली:
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने संविधान के तहत प्रदत्त अपने अधिकार का पालन नहीं किया। इसके साथ ही सरकार ने कहा कि लोक लेखा समिति (पीएसी) द्वारा परीक्षण किए जाने के बाद ही कोयला खदान आवंटन पर संसद में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट पर अंतिम रूप से विचार किया जाएगा।
ज्ञात हो कि कोयला आवंटन पर शुक्रवार को संसद में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट में सरकारी खजाने को 1.85 लाख करोड़ रुपये का नुकसान बताया गया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी. नारायणसामी ने कहा कि वह रिपोर्ट के औचित्य पर बात नहीं करना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि मसौदा रिपोर्ट के सौंपे जाने से कोई संदेश नहीं जाने वाला है।
नारायणसामी ने कहा, "दुर्भाग्यवश, सीएजी के पास संविधान के तहत खास अधिकार हैं। लेकिन मेरे अनुसार, सीएजी इस अधिकार का अनुसरण नहीं कर रहे हैं.."
नारायणसामी के अनुसार, रिपोर्ट पीएसी के पास जाएगी, जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल हैं और उसका अध्यक्ष मुख्य विपक्षी पार्टी का है।
नारायणसामी ने कहा कि पीएसी एक छोटी संसद की तरह है और यह अपनी रिपोर्ट संसद को सौंपती है। उन्होंने कहा, "उसके बाद सरकार द्वारा ही उस पर कार्रवाई की जा सकती है। उसके बाद ही यह अंतिम रिपोर्ट बनती है।" उन्होंने कहा कि मसौदा रिपोर्ट खास दस्तावेजों के आधार पर तैयार हुई है, जिसे वे अपना दृष्टिकोण मानते हैं।
इस रिपोर्ट के साथ दो अन्य रिपोर्टें भी संसद में पेश की गईं। अतिरिक्त दोनों रिपोर्टें अति विशाल विद्युत परियोजनाओं और दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में सार्वजनिक निजी साझेदारी पर हैं।
ज्ञात हो कि कोयला आवंटन पर शुक्रवार को संसद में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट में सरकारी खजाने को 1.85 लाख करोड़ रुपये का नुकसान बताया गया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी. नारायणसामी ने कहा कि वह रिपोर्ट के औचित्य पर बात नहीं करना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि मसौदा रिपोर्ट के सौंपे जाने से कोई संदेश नहीं जाने वाला है।
नारायणसामी ने कहा, "दुर्भाग्यवश, सीएजी के पास संविधान के तहत खास अधिकार हैं। लेकिन मेरे अनुसार, सीएजी इस अधिकार का अनुसरण नहीं कर रहे हैं.."
नारायणसामी के अनुसार, रिपोर्ट पीएसी के पास जाएगी, जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल हैं और उसका अध्यक्ष मुख्य विपक्षी पार्टी का है।
नारायणसामी ने कहा कि पीएसी एक छोटी संसद की तरह है और यह अपनी रिपोर्ट संसद को सौंपती है। उन्होंने कहा, "उसके बाद सरकार द्वारा ही उस पर कार्रवाई की जा सकती है। उसके बाद ही यह अंतिम रिपोर्ट बनती है।" उन्होंने कहा कि मसौदा रिपोर्ट खास दस्तावेजों के आधार पर तैयार हुई है, जिसे वे अपना दृष्टिकोण मानते हैं।
इस रिपोर्ट के साथ दो अन्य रिपोर्टें भी संसद में पेश की गईं। अतिरिक्त दोनों रिपोर्टें अति विशाल विद्युत परियोजनाओं और दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे में सार्वजनिक निजी साझेदारी पर हैं।
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