स्वास्थ्य मंत्रालय ने सरोगेसी बिल का प्रारूप तैयार किया, कैबिनेट में चर्चा कल

स्वास्थ्य मंत्रालय ने सरोगेसी बिल का प्रारूप तैयार किया, कैबिनेट में चर्चा कल

प्रतीकात्मक फोटो

खास बातें

  • बिल के जरिए बनेगा सरोगेसी के नियमितीकरण का कानूनी ढांचा
  • भारत में हर साल हो रहा है 2000 विदेशी बच्चों का जन्म
  • करीब तीन हजार क्लीनिक दे रहे हैं विदेशी सरोगेसी सर्विस
नई दिल्ली:

कई दिनों से चल रही स्टेकहोल्डर्स से चर्चा और सलाह-मशवरे के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने सरोगेसी बिल का प्रारूप तैयार कर लिया है. अब बुधवार को इस बिल पर कैबिनेट में चर्चा होगी.

सरकार इस बिल के जरिए देश में सरोगेसी को रेग्यूलेट करने के लिए एक नया कानूनी ढांचा तैयार करना चाहती है. ड्राफ्ट बिल में एक बोर्ड के गठन का प्रस्ताव है जो क्लिनिक को रेग्यूलेट और जांच करेगी. ड्राफ्ट बिल में कमर्शियल सरोगेसी पर रोक लगाने का प्रावधान शामिल किया गया है. सिर्फ उन्हीं मामलों में सरोगेसी को मंजूरी दी जाएगी जिसमें इनफर्टिलिटी को साबित किया जाएगा.  

लॉ कमीशन के मुताबिक सरोगेसी को लेकर विदेशी दंपत्तियों के लिए भारत एक पसंदीदा देश बन चुका है. डिपार्टमेन्ट ऑफ हेल्थ रिसर्च को भेजे गए दो स्वतंत्र अध्ययनों के मुताबिक हर साल भारत में 2000 विदेशी बच्चों का जन्म होता है, जिनकी सरोगेट मां भारतीय होती हैं. देश भर में करीब 3,000 क्लीनिक विदेशी सरोगेसी सर्विस मुहैया करा रहे हैं.

फिलहाल स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी नेशनल गाइडलाइन फॉर एक्रिडिएशन, सुपरवीजन एंड रेगुलेशन ऑफ एआरटी क्लीनिक्स इन इंडिया, 2005  के जरिए सरोगेसी को रेग्युलेट किया जा रहा है. वाणिज्य मंत्रालय ने मानव भ्रूण के आयात पर रोक लगाने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है. गृह मंत्रालय ने विदेशी नागरिकों को भारत में सरोगेसी कमीशन करने के लिए यहां न आने देने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं. सरकार इस बिल को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करना चाहती है.


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