दीर्घकालीन सिंचाई निधि राज्यों को नाबार्ड से छह प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्जाय दर पर कर्ज को आकर्षक बनाएगी..
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दीर्घकालीन सिंचाई निधि के लिए आवश्यकतानुसार 9020 करोड़ रुपये तक के अतिरिक्त बजटीय संसाधन को जुटाने को मंजूरी दी है. यह राशि नाबार्ड द्वारा बांड जारी कर जुटाई जाएगी. यहां जारी एक बयान में कहा गया कि दीर्घकालीन सिंचाई निधि (एलटीआईएफ) राज्यों को नाबार्ड से छह प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्जाय दर पर कर्ज को आकर्षक बनाएगी ताकि राज्य प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत चल रही प्राथमिकता वाली 99 सिंचाई परियोजनाओं और इसके साथ-साथ सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) के कार्यान्वयन को सुनिश्चित कर सकें.
पढ़ेंं: क्या एक साल में दस लाख खेत तालाब बनाने का वित्त मंत्री का दावा सही है?
एलटीआईएफ की शुरुआत 2016 में इन परियोजनाओं को इनके कमान क्षेत्र विकास (सीएडी) के साथ पूरा करने के लिए की गई थी. सीएडी कार्यक्रम का मकसद सिंचाई की मौजूद क्षमता और इनके वास्तविक इस्तेमाल के बीच के अंतर को भरना है. देश के ग्रामीण इलाकों में सिंचाई के लिए पानी की लगातार कमी की समस्या से निपटने के लिए 2016-17 में एलटीआईएफ के लिए बीस हजार करोड़ का शुरुआती कोष बनाया गया था.
VIDEO : महाराष्ट्र में सिंचाई परियोजना पर बवाल
राज्यों के लिए नाबार्ड से ऋण को आकर्षक बनाने के लिए वर्ष 2016-17 से 2019-20 के दौरान नाबार्ड को प्रतिवर्ष अपेक्षित लागत मुक्त निधियां उपलब्ध कराकर ब्याज की दर 6 प्रतिशत के आस-पास बनाए रखने का निर्णय लिया गया था. वर्ष 2017-18 के दौरान एलटीआईएफ के माध्यम से 29 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित राशि की जरूरत होगी, जिसके लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ईबीआर बढ़ाकर 9020 करोड़ रुपये किया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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एलटीआईएफ की शुरुआत 2016 में इन परियोजनाओं को इनके कमान क्षेत्र विकास (सीएडी) के साथ पूरा करने के लिए की गई थी. सीएडी कार्यक्रम का मकसद सिंचाई की मौजूद क्षमता और इनके वास्तविक इस्तेमाल के बीच के अंतर को भरना है. देश के ग्रामीण इलाकों में सिंचाई के लिए पानी की लगातार कमी की समस्या से निपटने के लिए 2016-17 में एलटीआईएफ के लिए बीस हजार करोड़ का शुरुआती कोष बनाया गया था.
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राज्यों के लिए नाबार्ड से ऋण को आकर्षक बनाने के लिए वर्ष 2016-17 से 2019-20 के दौरान नाबार्ड को प्रतिवर्ष अपेक्षित लागत मुक्त निधियां उपलब्ध कराकर ब्याज की दर 6 प्रतिशत के आस-पास बनाए रखने का निर्णय लिया गया था. वर्ष 2017-18 के दौरान एलटीआईएफ के माध्यम से 29 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित राशि की जरूरत होगी, जिसके लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ईबीआर बढ़ाकर 9020 करोड़ रुपये किया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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