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This Article is From Feb 01, 2020

वित्तमंत्री ने किया है राहत का दावा, लेकिन हो सकता है, नई दरें अपनाने पर देना पड़े ज़्यादा इनकम टैक्स

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स ढांचे को सरल करते हुए मिडिल क्लास को राहत देने का दावा किया है, लेकिन असलियत यह है कि यह राहत सिर्फ उन लोगों को मिल पाएगी, जो किसी भी तरह की बचत नहीं कर पाते, जो किराये के मकान में नहीं रहते, या जिन्होंने होम लोन नहीं लिया है.

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वित्तमंत्री ने किया है राहत का दावा, लेकिन हो सकता है, नई दरें अपनाने पर देना पड़े ज़्यादा इनकम टैक्स
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया
नई दिल्ली:

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स ढांचे को सरल करते हुए मिडिल क्लास को राहत देने का दावा किया है, लेकिन असलियत यह है कि यह राहत सिर्फ उन लोगों को मिल पाएगी, जो किसी भी तरह की बचत नहीं कर पाते, जो किराये के मकान में नहीं रहते, या जिन्होंने होम लोन नहीं लिया है. देश के इतिहास में पहली बार दो अलग-अलग तरह के टैक्स स्लैब बनाने की घोषणा करते हुए वित्तमंत्री ने आयकर दरों में व्यापक परिवर्तन किया है, जिनके तहत अब पांच लाख रुपये से साढ़े सात लाख रुपये तक की करयोग्य आय पर सिर्फ 10 फीसदी टैक्स अदा करना होगा, और साढ़े सात लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की करयोग्य आय पर 15 फीसदी टैक्स देना होगा, जबकि मौजूदा दरों के तहत पांच लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की करयोग्य आय पर 20 फीसदी की दर से टैक्स देना पड़ता है.

 इसके अलावा मौजूदा आयकर दरों के तहत 10 लाख रुपये से अधिक की करयोग्य आय पर 30 फीसदी टैक्स देना पड़ता है, जबकि अब 10 लाख से 15 लाख तक की आय के लिए दो नई स्लैब बना दी गई हैं. अब 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये तक की करयोग्य आय पर 20 फीसदी टैक्स देना होगा, और 12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक की करयोग्य आय पर 25 फीसदी टैक्स देना होगा.

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इस बड़े बदलाव की घोषणा में सबसे अहम पहलू यह है कि आयकर की नई दरों के तहत भुगतान करने के लिए आपको अब तक मिल रही अधिकतर छूट और कटौतियों से मिलने वाले लाभ को त्यागना होगा. यानी जीवन बीमा पॉलिसी के लिए चुकाए गए प्रीमियम या छोटी बचत योजनाओं में निवेश की गई रकम पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80सी के अंतर्गत दी जाने वाली छूट या खुद रहने के लिए खरीदे गए घर हेतु बैंक से लिए गए होम लोन की किश्तों में दिए जा रहे ब्याज पर मिलने वाली छूट या घर के किराये के तौर पर चुकाई गई रकम पर मिलने वाली छूट (HRA Rebate) अगर आप अब भी लेना चाहते हैं, तो पुरानी दरों के हिसाब से ही आपको आयकर अदा करना होगा. सो, बचत योजनाओं में निवेश करने वालों या होम लोन ले चुके लोगों या घर के लिए दिए गए किराये पर छूट लेने वाले अधिकतर लोगों के लिए आज भी यही बेहतर है कि वे पुरानी दरों से ही इनकम टैक्स अदा करें.

 उदाहरण से समझिए, यदि आपकी करयोग्य आय फिलहाल 15,00,000 रुपये है, और आपने इस रकम पर 3,25,000 रुपये HRA छूट के तहत और 1,50,000 रुपये धारा 80सी के तहत लेते हैं, तो मौजूदा दरों से आपकी टैक्स देनदारी 1,24,800 रुपये (उपकर यानी सेस सहित) बनेगी, जबकि नई टैक्स दरों के हिसाब से सभी प्रकार की छूट को छोड़ देने पर आपकी टैक्स देनदारी 1,95,000 रुपये (उपकर यानी सेस सहित) हो जाएगी.

इसी तरह अगर आपकी करयोग्य आय फिलहाल 15,00,000 रुपये है, और आपने होम लोन पर ब्याज के मद में 2,00,000 रुपये चुकाए हैं, और धारा 80सी के तहत 1,50,000 रुपये पर छूट ली है, तो मौजूदा दरों से आपकी टैक्स देनदारी 1,63,800 रुपये (उपकर यानी सेस सहित) बनेगी, जबकि नई टैक्स दरों के हिसाब से सभी प्रकार की छूट को छोड़ देने पर आपकी टैक्स देनदारी 1,95,000 रुपये (उपकर यानी सेस सहित) हो जाएगी.

नई दरों से इससे कम कमाने वालों को भी कोई लाभ नहीं होने वाला है, अगर वह निवेश या किराये के घर में या होम लोन लेकर रहते हैं. यदि आपकी करयोग्य आय फिलहाल 10,00,000 रुपये है, और आपने इस रकम पर 2,00,000 रुपये HRA छूट के तहत और 1,50,000 रुपये धारा 80सी के तहत छूट हासिल की है, तो मौजूदा दरों से आपकी टैक्स देनदारी 44,200 रुपये (उपकर यानी सेस सहित) बनेगी, जबकि नई टैक्स दरों के हिसाब से सभी प्रकार की छूट को छोड़ देने पर आपकी टैक्स देनदारी 78,000 रुपये (उपकर यानी सेस सहित) हो जाएगी.

इसी तरह यदि आपकी करयोग्य आय फिलहाल 10,00,000 रुपये है, और आपने होम लोन पर ब्याज के मद में 1,50,000 रुपये चुकाए हैं, और धारा 80सी के तहत 1,50,000 रुपये पर छूट ली है, तो मौजूदा दरों से आपकी टैक्स देनदारी 54,600 रुपये (उपकर यानी सेस सहित) बनेगी, जबकि नई टैक्स दरों के हिसाब से सभी प्रकार की छूट को छोड़ देने पर आपकी टैक्स देनदारी 78,000 रुपये (उपकर यानी सेस सहित) हो जाएगी.

एक अन्य उदाहरण के तहत यदि आपकी करयोग्य आय 10,00,000 रुपये है, और आपने होम लोन पर ब्याज के मद में सिर्फ 1,00,000 रुपये ही चुकाए हैं, और धारा 80सी के तहत 1,50,000 रुपये पर छूट ली है, तो मौजूदा दरों से आपकी टैक्स देनदारी 65,000 रुपये (उपकर यानी सेस सहित) बनेगी, जबकि नई टैक्स दरों के हिसाब से सभी प्रकार की छूट को छोड़ देने पर आपकी टैक्स देनदारी 78,000 रुपये (उपकर यानी सेस सहित) हो जाएगी.

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