बसपा की मुखिया मायावती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'साइज ऑफ द केक मैटर्स' वाली टिप्पणी पर तंज करते हुए रविवार को कहा कि जब देश की एक विशाल आबादी बेरोजगारी और दूसरे संकटों से जूझ रही है तो ऐसे में केक की बात करना प्रधानमंत्री की 'निरंकुशता' को जाहिर करता है. मायावती ने ट्वीट कर कहा कि जब देश की अधिसंख्य आबादी जबरदस्त महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, बीमारी और अशिक्षा की समस्या से घिरकर रोजी-रोटी के लिए तरस रही है तो ऐसे में प्रधानमंत्री उनके लिए केक की बात कर रहे हैं. यह उनकी 'निरंकुशता' को जाहिर करता है.
पूर्व PM मनमोहन सिंह ने भय की राजनीति को लेकर दिया बड़ा बयान, बोले- कहीं ऐसा न हो...
ऐसे समय में जब अपने विशाल देश की अधिसंख्य आबादी का जीवन जबर्दस्त महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, बीमारी, अशिक्षा आदि की बुनियादी समस्याओं से त्रस्त होकर रोटी-रोजी के लिए तरस रही है, पीएम उनके लिए केक की बात कर रहे हैं। यही है सत्ता का अहंकार व निरंकुशता जिससे आज पूरा देश झुलस रहा है।
— Mayawati (@Mayawati) July 7, 2019
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में क्या देश उसी रास्ते पर चल रहा है जिस तरह फ्रांसीसी क्रांति के समय कहा गया था कि अगर लोगों के पास खाना नहीं है तो वे केक क्यों नहीं खाते. वास्तव में सरकार को जुमलेबाजी छोड़कर जनता के भले के लिए काम करना चाहिए.
जल्द ही सिम कार्ड व आईएमईआई नंबर बदलने के बावजूद लग जाएगा चोरी के मोबाइल का पता
अतः आज बीजेपी सरकार में देश क्या उसी रास्ते पर चल रहा है जिस प्रकार फ्रांसीसी क्रान्ति के समय कहा गया कि अगर लोगों के पास खाने को रोटी नहीं है तो वे केक क्यों नहीं खाते? वास्तव में जुमलेबाजी त्याग कर सरकार को देश की 130 करोड़ जनता की मूलभूत समस्याओं के प्रति गंभीर होना होगा।
— Mayawati (@Mayawati) July 7, 2019
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को वाराणसी में भाजपा के सदस्यता अभियान की शुरुआत करते हुए देश की अर्थव्यवस्था को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने पर अपनी बात रखी थी. उन्होंने कहा था कि साइज ऑफ द केक मैटर्स, यानी जितना बड़ा केक होगा, उसका उतना ही बड़ा हिस्सा लोगों को मिलेगा. इसलिये हमने भारत की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य तय किया है.
पीएम मोदी ने कहा था कि गरीबी हमारे दिल-दिमाग में एक नियति बन गयी है. सत्यनारायण की कथा भी एक बेचारे गरीब ब्राह्मण से शुरू होती है. हमें इस सोच से बाहर निकलना चाहिये. इसलिये कल के बजट में देश पांच ट्रिलियन इकॉनॉमी को कैसे प्राप्त करेगा, उसकी दिशा दिखायी गई है. आने वाले 10 साल के विजन के साथ हम मैदान में उतरे हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं