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This Article is From Sep 17, 2016

मुंबई : निगम के स्कूलों में सूर्य नमस्कार पर रोक लगाने से हाई कोर्ट का इनकार

मुंबई : निगम के स्कूलों में सूर्य नमस्कार पर रोक लगाने से हाई कोर्ट का इनकार
मुंबई: बंबई हाईकोर्ट ने महानगर में नगर निगम के स्कूलों में योग और सूर्य नमस्कार को अनिवार्य बनाने के प्रस्ताव को लागू करने पर अंतरिम रोक लगाने से आज इंकार कर दिया और कहा कि यह केवल एक व्यायाम है जो शरीर के लिए अच्छा है. अदालत ने शिवसेना-भाजपा के नियंत्रण वाले बीएमसी के एक प्रस्ताव को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर यह टिप्पणी की है. बीएमसी के प्रस्ताव पर विपक्ष ने विरोध दर्ज कराते हुए कहा था कि यह शिक्षा के भगवाकरण की कोशिश है.

याचिकाकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता मसूद अंसारी ने बीएमसी के प्रस्ताव पर रोक लगाने की मांग की थी. इसमें कहा गया था कि प्रस्ताव बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन करता है और दुर्भावनापूर्ण है. याचिकाकर्ता के अनुसार बीएमसी संचालित स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चे समाज के गरीब वर्ग के होते हैं और सभी धर्म, जाति और समुदायों से ताल्लुक रखते हैं.

हालांकि मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मंजुला चेल्लुर और न्यायमूर्ति एम एस सोनक की खंडपीठ ने कहा कि लोगों को केवल इसके नाम ‘सूर्य नमस्कार’ को नहीं देखना चाहिए. न्यायमूर्ति चेल्लुर ने कहा‘नाम पर नहीं जाइए. यह एक तरह का व्यायाम है जो शरीर के लिए अच्छा होता है.’उच्च न्यायालय ने अगली सुनवाई के लिए दो हफ्ते बाद की तारीख तय करते हुए प्रस्ताव के क्रियान्वयन पर अंतरिम स्थगन लगाने से मना कर दिया.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील अंजलि अवस्थी ने दलील दी कि नाबालिग बच्चों से रोजाना सूर्य नमस्कार की अपेक्षा नहीं की जा सकती जिसमें 12 आसन होते हैं. इस पर उच्च न्यायालय ने कहा कि वह इस दलील को बाद के स्तर पर देखेगा और यह पता लगाने के लिए एक रिपोर्ट मांगेगा कि क्या नाबालिग सूर्य नमस्कार कर सकते हैं या नहीं.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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