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This Article is From Nov 13, 2017

मोदी सरकार के खिलाफ भारतीय मजदूर संघ ने खोला मोर्चा, 17 नवंबर को संसद मार्च

बीएमएस के नेता सरकारी कंपनियों में विनिवेश और रोज़गार देने वाले उद्योगों में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के मोदी सरकार के फैसलों से भी नाराज़ हैं.

मोदी सरकार के खिलाफ भारतीय मजदूर संघ ने खोला मोर्चा, 17 नवंबर को संसद मार्च
नई दिल्‍ली: 17 नवंबर को ख़ुद आरएसएस से जुड़ा मज़दूर संगठन भारतीय मज़दूर संघ यानी बीएमएस सड़कों पर उतर रहा है. बीएमएस का कहना है कि मोदी सरकार की आर्थिक नीतियां ग़रीब विरोधी, श्रमिक विरोधी और कर्मचारी विरोधी हैं. बीएमएस के नेता सरकारी कंपनियों में विनिवेश और रोज़गार देने वाले उद्योगों में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के मोदी सरकार के फैसलों से भी नाराज़ हैं. यही नहीं, वो सरकार की वादाख़िलाफ़ी से भी नाराज़ हैं.

अगस्त 2016 में वित्त मंत्री ने बीएमएस के नेताओं से वादा किया था कि मज़दूरों के लिए एक प्रभावी सामाजिक सुरक्षा से लेकर न्यूनतम मज़दूरी तय की जाएगी लेकिन उस वादे को सही तरीके से पूरा नहीं किया. नोटबंदी से प्रभावित हुए मज़दूरों के लिए कोई सामाजिक सुरक्षा ना होने से भी बीएमएस नाराज़ है. अब इन नीतियों के ख़िलाफ़ 17 नवंबर को बीएमएस के हज़ारों कार्यकर्ता सड़क पर उतरेंगे और संसद तक मार्च करेंगे.

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बीएमएस का दावा है कि पांच लाख बीएमएस कार्यकर्ता दिल्ली की सड़कों पर होंगे. बीएमएस ने इसे श्रमिक महारैली का नाम दिया है. पिछले गुरुवार को ही दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के हज़ारों कार्यकर्ता मोदी सरकार की आर्थिक और श्रम सुधार नीतियों का विरोध कर चुके हैं.

VIDEO: नोटबंदी ने छीने करोड़ों रोज़गार : भारतीय मज़दूर संघ

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