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This Article is From Sep 06, 2017

ब्लू व्हेल की अंतिम चुनौती से बचे अलेक्जेंडर ने साझा की पीड़ा, कहा- 'एक मौत का ऐसा जाल जिसे चाहकर भी नहीं छोड़ सकते'

इंटरनेट पर खेला जाने वाला ब्लू व्हेल गेम साक्षात मौत का कुआं है. जो एक बार इसमें उतरता है, उसका बचकर वापस आना लगभग असंभव है.

ब्लू व्हेल की अंतिम चुनौती से बचे अलेक्जेंडर ने साझा की पीड़ा, कहा- 'एक मौत का ऐसा जाल जिसे चाहकर भी नहीं छोड़ सकते'
ब्लू व्हेल गेम की अंतिम चुनौती पूरी होते ही इसे खेलने वाला खुद का जीवन खत्म करने के लिए बेचैन हो उठता है
पुडुचेरी: इंटरनेट पर खेला जाने वाला ब्लू व्हेल गेम साक्षात मौत का कुआं है. जो एक बार इसमें उतरता है, उसका बचकर वापस आना लगभग असंभव ही है. तमिलनाडु के पुडुचेरी में ब्लू व्हेल की आत्मघाती चुनौती से 22 वर्षीय अलेक्जेंडर का बचा लिया गया है. नेरावी के रहने वाले अलेक्जेंडर को पुलिस ने उस समय बचा लिया जब वह चाकू से ब्लू व्हेल गेम का आखिरी निशान बना रहा था. और यही आखिरी निशान उसे मौत को गले लगाने के लिए मजबूर कर सकता था. 

इस खेल के खतरनाक अनुभव साझा करते हुए उसने बताया कि यह एक मौत का ऐसा जाल है जिसे आप चाहते हुए भी नहीं छोड़ सकते. उसने कहा, "यह एक आभासी मौत का जाल है. आप एक पीड़ादायक अनुभव से गुजरेंगे. 

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अलेक्जेंडर ने बताया कि एक कूरियर कंपनी में अपने सहयोगियों द्वारा बनाए एक व्हाट्सऐप ग्रुप पर उसे दो हफ्ते पहले ब्लू व्हेल चैलेंज गेम का एक लिंक मिला था. वह अपने घर नेरावी जब छुट्टियों पर गया तो वहां उसने यह खेल खेलना शुरू किया. इस खेल की लत इतनी गहरी थी कि वह काम पर वापस चेन्नई नहीं आ पाया. हमेशा गेम के चैलेंज को पूरा करने में लगा रहता था. 

अलेक्जेंडर ने बताया, इस ऐप या गेम को डाउनलोड नहीं करना चाहिए. यह ऐसा लिंक है जिसे ब्लू व्हेल एडमिन गेम खेलने वाले लोगों के हिसाब से बनाता है. एडमिन खेलने वाले को एक टास्क देता जो रोजाना रात में 2 बजे के बाद पूरा करना होता है.

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उसने बताया कि पहले दिन एडमिन ने उसकी कुछ निजी जानकारी और तस्वीरें डालने को कहा तो उसने ये चीजें गेम में शेयर कर दीं. कुछ दिनों बाद एडमिन ने अलेक्जेंडर से आधी रात को एक कब्रिस्तान में जाकर सेल्फी लेकर उसे पोस्ट करने को कहा. उन्होंने कहा, 'मैं आधी रात के पास के अककारीवट्टम कब्रिस्तान गया, एक फोटो लिया और इसे ऑनलाइन पोस्ट कर दिया. हर दिन मुझे डरावनी फिल्मों को अकेला देखने के लिए कहा जाता था, क्योंकि यह विचार था कि इससे अंदर का डर खत्म होगा.' वह घर के लोगों से बात करने में कतराने लगा. उसने बताया, 'मैंने खुद को एक कमरे में कैद करके रख लिया. मन चाहता था कि बाहर निकल कर खेलू, लेकिन चाहकर भी ऐसा नहीं कर पाता था. मैं इस गेम को छोड़ना चाहता था लेकिन कोशिश करने के बाद भी नहीं छोड़ पाया.' 

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अलेक्जेंडर ने बताया कि उसके भाई अजीत ने उसके अजीब व्यवहार को देखा और पुलिस को इसकी जानकारी दी. कुछ पुलिस वाले सुबह चार बजे उसके घर आ धमके, उस समय वह चाकू से अपने हाथ पर व्हेल की तस्वीर पूरी करने जा रहा था. वह इस गेम का अंतिम टास्क पूरा करने ही जा रहा था, जो उसे आत्महत्या के लिए उकसाता, कि इतने में ही पुलिस ने उसे रोक लिया. पुलिस ने उसे इस स्थिति से निकालने में मदद की. 

बता दें कि ब्लू व्हेल गेम भारत में भी तेजी से पैर पसारता जा रहा है. कई बच्चे इसके जाल में फंस कर मौत को गले लगा चुके हैं.  
 

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