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This Article is From Mar 18, 2018

एक मुट्ठी अनाज दो येद्दयुरप्पा का भरोसा लो-किसानों को आत्महत्या से रोकने के लिए बीजेपी का चुनावी अभियान

अभियान के तहत बीजेपी कार्यकर्ता गांवो में घर -घर जाकर एक मुट्ठी अनाज घर वालों से लेंगे और बदले में बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस येद्दयुरप्पा का एक पत्र देंगे.

एक मुट्ठी अनाज दो येद्दयुरप्पा का भरोसा लो-किसानों को आत्महत्या से रोकने के लिए बीजेपी का चुनावी अभियान
बीएस येद्दयुरप्पा(फाइल फोटो)
बेंगलुरू: कर्नाटक बीजेपी के कार्यकर्ता राज्य के सभी गावों में किसानों को आत्महत्या करने से रोकने के लिए एक अनूठा अभियान चलाएंगे. इसके तहत बीजेपी कार्यकर्ता गांवो में घर -घर जाकर एक मुट्ठी अनाज घर वालों से लेंगे और बदले में बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस येद्दयुरप्पा का एक पत्र देंगे. जिसमे किसानों को भरोसा दिलाया जाएगा कि उनके आशीर्वाद से येद्दयुरप्पा की बनने वाली सरकार सुनिश्चित करेगी कि कोई भी किसान अब आत्महत्या करने को मजबूर न हो. बीजेपी के कर्नाटक चुनावों के प्रभारी और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेडकर ने कहा कि '21 मार्च से 6 अप्रैल के बीच राज्य के सभी गावों में मष्टि दनाया संग्रह अभियान चलेगा ताकि किसानों को भरोसा दिलाया जा सके कि बीजेपी सरकार उनका पूरा ख्याल रखेगी ताकि वो आत्महत्या करने को मजबूर न हो'

दरअसल पिछले पांच सालों में जब से मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या की सरकार बनी है तब से अबतक तकरीबन 3500 किसानों के आत्महत्या की खबर है.

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कर्नाटक कांग्रेस के कार्येकारी अध्यक्ष दिनेश गुंडु राव से जब ये पूछा कि इतनी बड़ी तादाद में किसानों की खुदकुशी की वजह क्या है तो उनका जवाब था कि 'पिछले पांच सालों से कर्नाटक में लगातार सूखा पड़ रहा है और पिछले साल का सूखा पिछले सौ सालों के सबसे बड़ा सूखा था. ऐसे फसलों की बर्बादी की वजह से किसानों पर बोझ बढा और बड़ी तादाद में किसानों ने खुदकुशी की'. सूखे को देखते हुए सरकार ने सभी बैंकों को निर्देश दिए थे कि किसानों के शार्ट टर्म लोन को लांग टर्म लोन में बदले और ब्याज इन सालो के लिए न लें, साथ ही खुदकुशी करने वाले किसानों के परिवार को एक लाख की जगह पांच लाख रुपए का मुआवजा देने का फैसला भी सिद्धारमैय्या सरकार ने किया है. लेकिन इसके बावजूद किसानो के आत्महत्या का सिलसिला नहीं थमा और इसकी सबसे बड़ी वजह साहूकार बताए जा रहे हैं जिन्होंने 25 से 40 फीसदी की दर पर किसानों को ऋण दिया और इस बोझ से किसान उभर नही पा रहे हैं. हालांकि ऐसे साहूकारों के खिलाफ भी करवाई की गई और लगभग 600 के आसपास साहूकारों को गिराफ्तार भी किया गया.

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डैमेज कंट्रोल के तहत सिद्धारमैय्या सरकार आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार को पेंशन और उनके बच्चों को मुफ़्त शिक्षा दे रही है. गैर सरकारी आंकड़ों के मोताबिक़ भले ही आत्महत्या करने वाले किसानों की तादाद 3500 के आसपास हो लेकिन राज्य के कृषि विभाग के आंकड़ो के मुताबिक ये संख्या लगभग 2500 तक ही सीमित है. 

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