प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
बीजेपी की चुनाव में जीत से यह जरूरी नहीं है कि पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं के अच्छे दिन आ गए हों। एक पार्टी कार्यकर्ता ऐसा है जो इस जीत के बाद भी इतना दुखी है कि आत्महत्या की सोच रहा है।
हम बात कह रहे हैं विनोद समारिया की। वे कह रहे हैं कि अब वह आत्महत्या करने को भी तैयार हैं। पार्टी की जीत में मदद करने के लिए अब उसके ऊपर रेलवे विभाग का लाखों रुपये का बकाया है।
बता दें कि दो साल पहले, समारिया जो फतेहपुर सीकरी में बीजेपी के जिला प्रमुख थे, का चयन किया गया कि वे एक ट्रेन के जरिए तब प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी की रैली के लिए कार्यकर्ताओं का हुजूम लेकर जाएंगे।
इस जिम्मेदारी से समारिया काफी खुश हुए और उन्होंने 19 कोच बुक किए। 1 मार्च 2014 को रैली के लिए वे कार्यकर्ताओं को लेकर लखनऊ गए। दो दिन बाद एक कामयाब रैली कर वे सभी लौटे।
11 मार्च को समारिया को रेलवे की ओर से एक झटका लगा। एक नोटिस समारिया के घर पर भेजा गया जिसमें बिल नहीं चुकाए जाने की बात कही गई है। रेलवे के रिकॉर्ड के मुताबिक समारिया पर 12 लाख रुपये का बकाया है।
एनडीटीवी से बात करते हुए समारिया ने कहा कि मैंने राज्य में पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं से बात की है। लेकिन यह मामला मेरे और रेलवे के बीच हो गया है। कर्ज में डूबे किसान आत्महत्या कर रहे हैं, मैं क्या करूं।
समारिया का कहना है कि पिछले दो सालों में डीआरएम कार्यालय से उनके पास इस संबंध में कई नोटिस आ चुके हैं और पार्टी नेताओं से तमाम अपील के बावजूद कोई हल नहीं निकला है।
रेलवे का कहना है कि बीजेपी ने ट्रेन की बुकिंग के लिए 12 लाख रुपये दे दिए और करीब 6 लाख रुपये सीक्योरिटी डिपोजिट के रूप में भी जमा किए थे। समारिया को दोनों ओर की यात्रा के दौरान चार स्टेशनों पर ट्रेन को रोकने के लिए 12 लाख रुपये चुकाने हैं।
बीजेपी की राज्य इकाई के प्रमुख लक्ष्मीकांत वाजेपई का कहना है कि रैली के बाद ही रेलवे से बिलों को लेकर विवाद हो गया था। उनका कहना है कि बीजेपी अपने सारे बकाये का भुगतान कर देगी जैसी ही इस मामले में दोनों पार्टियों के बीच कोई सहमति बन जाएगी।
हम बात कह रहे हैं विनोद समारिया की। वे कह रहे हैं कि अब वह आत्महत्या करने को भी तैयार हैं। पार्टी की जीत में मदद करने के लिए अब उसके ऊपर रेलवे विभाग का लाखों रुपये का बकाया है।
बता दें कि दो साल पहले, समारिया जो फतेहपुर सीकरी में बीजेपी के जिला प्रमुख थे, का चयन किया गया कि वे एक ट्रेन के जरिए तब प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी की रैली के लिए कार्यकर्ताओं का हुजूम लेकर जाएंगे।
इस जिम्मेदारी से समारिया काफी खुश हुए और उन्होंने 19 कोच बुक किए। 1 मार्च 2014 को रैली के लिए वे कार्यकर्ताओं को लेकर लखनऊ गए। दो दिन बाद एक कामयाब रैली कर वे सभी लौटे।
11 मार्च को समारिया को रेलवे की ओर से एक झटका लगा। एक नोटिस समारिया के घर पर भेजा गया जिसमें बिल नहीं चुकाए जाने की बात कही गई है। रेलवे के रिकॉर्ड के मुताबिक समारिया पर 12 लाख रुपये का बकाया है।
एनडीटीवी से बात करते हुए समारिया ने कहा कि मैंने राज्य में पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं से बात की है। लेकिन यह मामला मेरे और रेलवे के बीच हो गया है। कर्ज में डूबे किसान आत्महत्या कर रहे हैं, मैं क्या करूं।
समारिया का कहना है कि पिछले दो सालों में डीआरएम कार्यालय से उनके पास इस संबंध में कई नोटिस आ चुके हैं और पार्टी नेताओं से तमाम अपील के बावजूद कोई हल नहीं निकला है।
रेलवे का कहना है कि बीजेपी ने ट्रेन की बुकिंग के लिए 12 लाख रुपये दे दिए और करीब 6 लाख रुपये सीक्योरिटी डिपोजिट के रूप में भी जमा किए थे। समारिया को दोनों ओर की यात्रा के दौरान चार स्टेशनों पर ट्रेन को रोकने के लिए 12 लाख रुपये चुकाने हैं।
बीजेपी की राज्य इकाई के प्रमुख लक्ष्मीकांत वाजेपई का कहना है कि रैली के बाद ही रेलवे से बिलों को लेकर विवाद हो गया था। उनका कहना है कि बीजेपी अपने सारे बकाये का भुगतान कर देगी जैसी ही इस मामले में दोनों पार्टियों के बीच कोई सहमति बन जाएगी।
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