
Assam Assembly polls: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने असम विधानसभा चुनाव (Assam Assembly Elections 2021) में अपनी रणनीति में एक बड़ा बदलाव करते हुए इस बार वहां कोई मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित नहीं करने का फैसला किया है. बीजेपी सूत्रों के अनुसार, पार्टी वहां चुनाव कोई एक चेहरा आगे रखकर नहीं लड़ेगी. यानी मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनेवाल पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं होंगे. यह एक बड़ा बदलाव है क्योंकि अमूमन चुनावी राज्यों के मुख्यमंत्री स्वाभाविक तौर पर, सीएम पद के दावेदार माने जाते हैं. दरअसल, बीजेपी ने असम में पार्टी के अंदरुनी समीकरणों के चलते यह फ़ैसला किया है. असम में हेमंत बिस्वा शर्मा और दिलीप सैकिया जैसे ताक़तवर नेताओं की मौजूदगी मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनेवाल पर भारी पड़ रहीं है.
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सोनेवाल आरएसएस और बीजेपी की पृष्ठभूमि के नहीं हैं. पार्टी विधायकों और संगठन से ठीक तालमेल न होना भी उनके लिए भारी पड़ा है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सोनेवाल को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था. तब वे मोदी सरकार में मंत्री थे, लेकिन स्थानीय समीकरण अभी भारी पड़ रहे हैं. राज्य में दिलीप सैकिया और हेमंत बिस्व शर्मा पार्टी और सरकार पर भारी पड़ते हैं. उन्हें फिलहाल दूसरी जिम्मेदारियां दे रखी हैं. जहां दिलीप सैकिया को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया तो वहीं हेमंत बिस्वा शर्मा नेडा यानी उत्तर पूर्व प्रजातांत्रिक गठबंधन के अध्यक्ष हैं. शर्मा उत्तर पूर्व में पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार हैं.
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वैसे बीजेपी अपने शासन वाले राज्यों में मुख्यमंत्रियों को ही सीएम कैंडिडेट घोषित करती है और उन्हीं को चेहरा बना कर चुनाव लड़ती आई है. जैसे 2018 के विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में रमन सिंह, मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान में वसुंधरा राजे को चेहरा बनाया गया. इसी तरह 2019 में महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में तत्कालीन मुख्यमंत्रियों के नेतृत्व में विधानसभा में चुनाव लड़ने की घोषणा चुनाव से बहुत पहले ही कर दी गई थी. हालांकि चुनाव में इसका नुकसान भी हुआ. हरियाणा को छोड़ बीजेपी किसी अन्य राज्य में वापसी नहीं कर पाई थी. ऐसा पहली बार नहीं है कि जब किसी मुख्यमंत्री को चेहरा बना कर पार्टी चुनाव मैदान में नहीं उतरेगी. गोवा में ऐसा हो चुका है जहां तत्कालीन सीएम लक्ष्मीकान्त पार्सेकर को चेहरा नहीं बनाया गया था.
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