रेट कॉन्ट्रैक्ट जांच के बहाने कांग्रेस को घेरने में लगी बीजेपी

सुधीर मुनघंटीवार की फाइल फोटो

मुंबई:

महाराष्ट्र में रेट कॉन्ट्रैक्ट नई राजनीतिक लड़ाई का हथियार बना है। बीजेपी बनाम कांग्रेस की राजनीतिक लड़ाई में इसे आजकल खूब इस्तेमाल किया जा रहा है। रेट कॉन्ट्रैक्ट वह सरकारी दस्तावेज है जिस आधार पर सरकार उसके लिए जरूरी सामान खरीदती है। इस कॉन्ट्रैक्ट से सामान किससे और किस दाम पर खरीदा जाए यह तय होता है।

महाराष्ट्र कांग्रेस ने हाल ही में आरोप लगाया था कि राज्य की बीजेपी सरकार में महिला एवं बालकल्याण मंत्री पंकजा मुंडे ने रेट कॉन्ट्रैक्ट का सहारा लेते हुए 206 करोड़ रुपये का सामान खरीदा। कांग्रेस कह रही है की यह नियमों का उल्लंघन है। अब बारी बीजेपी की है। वह इसी रेट कॉन्ट्रैक्ट का सहारा ले कर कांग्रेस को घेरने की रणनीति तैयार कर चुकी है। राज्य सरकार ने गत दस सालों में रेट कॉन्ट्रैक्ट के जरिए की गई तमाम खरीदी की जांच शुरू की है। ताकि इस में हुई अनियमितताएं उजागर हो सकें।

महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुनघंटीवार ने एनडीटीवी इं‍डिया को बताया कि सरकार से भुगतान के बावजूद सामान की आपूर्ति न होने की सूचना मिलने पर यह जांच शुरू हुई है। राज्य के 4 हजार गोडाउन में अनियमित आपूर्ति की आशंका से इस जांच को बल मिला है। ज्ञात हो की रेट कॉन्ट्रैक्ट राज्य के उद्योग विभाग के अधीन होते हैं। पिछले दस साल तक इन महकमों का जिम्मा पहले अशोक चव्हाण और फिर नारायण राणे इन कांग्रेसी नेताओं के पास था।

इस जांच की पृष्ठभूमि बनाने के लिए बीजेपी की मंत्री पंकजा मुंडे का बयान कारण बना है। श्रीमती मुंडे लगातार कह रही हैं कि उनके कार्यकाल में केवल 206 करोड़ रुपये की खरीदी हुई जिसे घोटाला कहा गया। जबकि, कांग्रेस के गत 5 साल के कार्यकाल में 408 करोड़ रुपये की खरीदी हुई है जिसकी जांच होनी चाहिए।

वैसे इस जांच को हवा देने का काम कांग्रेस के अंदर से भी होता दिख रहा है। राज्य में गत दस साल की कांग्रेस एनसीपी शासनकाल में लम्बे वक्त तक सीएम रहे पृथ्वीराज चव्हाण इस जांच को समर्थन दे रहे हैं। मंगलवार को मुम्बई में हुए संवाददाता सम्मलेन में जब उनसे पूछा गया कि क्या आपके कार्यकाल में रेट कॉन्ट्रैक्ट से खरीदी नहीं हुई? तब चव्हाण बोल पड़े कि, मौजूदा सरकार उसकी भी जांच कराए।

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राज्य सरकार ने 5 सचिवों की एक कमेटी स्थापित कर 2 महीने में यह सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं की आखिर गत दस सालों सरकार को रेट कॉन्ट्रैक्ट की खरीदी में कितना नुकसान हुआ और किससे? सरकार दोषियों को ढूंढ रही है। अगर ग़लती की है तो सज़ा हो कर रहेगी। महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुनघंटीवार अपना रुख साफ करते हुए यह बता दे रहे हैं।