अब बीजेपी ने शेयर किया राजीव गांधी का वह भाषण जो कांग्रेस को हमेशा सताता है

सिख दंगा 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़का था. इस घटना में कांग्रेस के कुछ नेताओं पर आरोप है कि वह दिल्ली में उस भीड़ की अगुवाई कर रहे थे जो सिखों की निशाना बना रही थी.

अब बीजेपी ने शेयर किया राजीव गांधी का वह भाषण जो कांग्रेस को हमेशा सताता है

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (फाइल फोटो)

खास बातें

  • 'जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है'
  • राजीव गांधी ने दिया था भाषण
  • सिख दंगों से जोड़कर देखा जाता है यह भाषण
नई दिल्ली:

दिल्ली में लोकसभा चुनाव  की वोटिंग से दो दिन पहले बीजेपी ने कांग्रेस पर फिर हमला किया है. पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से राजीव गांधी का वह भाषण शेयर किया गया है जिसमें वो कहते हैं, 'जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती में भूकंप आता है.' उनका यह बयान हमेशा सिख दंगा मामले से जोड़ा जाता है जिसमें करीब 3 हजार सिखों को मौत के घाट उतार दिया गया था. सिख दंगा 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़का था. इस घटना में कांग्रेस के कुछ नेताओं पर आरोप है कि वह दिल्ली में उस भीड़ की अगुवाई कर रहे थे जो सिखों की निशाना बना रही थी. इनमें से सज्जन कुमार, जगदीश टाइटलर, कमलनाथ और एचकेएल भगत शामिल हैं. जिनका जिक्र बीजेपी की ओर से जारी वीडियो में भी किया गया है.  आपको बता दें कि यह तीसरा मौका है जब बीजेपी ने चुनाव के बीच पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को घसीटा है. बीते हफ्ते ही प्रधानमंत्री मोदी ने एक रैली में कहा था कि राजीव गांधी की मौत 'भ्रष्टाचारी नंबर-1' के रूप में हुई है. उनके इस बयान की राहुल और प्रियंका गांधी सहित कई विपक्षी नेताओं ने निंदा की थी. इसके बाद पीएम मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में पीएम मोदी ने फिर राजीव गांधी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि नेवी के युद्धपोत में आईएनएस विराट का इस्तेमाल पर्सनल टैक्सी के तौर पर किया गया. हालांकि उनके इस आरोप का शिप के कमांडर रहे वाइस एडमिरल विनोद परीक्षा ने नकार दिया. 

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क्या इस भाषण की असली कहानी
19 नवंबर 1984. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनका पहला जन्मदिन. दिल्ली में सिख विरोधी दंगों को शुरू हुए पंद्रह दिन भी नहीं बीते थे और राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) ने तमाम रस्मों-रिवाज के साथ इंदिरा गांधी का जन्मदिन मनाने की घोषणा कर दी. यह वो दौर था जब इंडिया गेट के नजदीक बोट क्लब सियासत का केंद्र बिंदु हुआ करता था और इसको आज के रामलीला मैदान या जंतर-मंतर की हैसियत प्राप्त थी. इंदिरा का जन्मदिन इस रूप में भी खास था कि बतौर प्रधानमंत्री राजीव गांधी पहली बार किसी रैली को संबोधित करने जा रहे थे. कांग्रेस ने आयोजन की तैयारियों में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी. 

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वह दिन आ गया. बोट क्लब में दिल्ली के अलावा पड़ोसी राज्यों से जुटी 'कार्यकर्तानुमा भीड़' का पूरा ध्यान राजीव गांधी की तरफ था. वह बोलने खड़े हुए और जो कहा वह करीब चार दशक बाद अब भी रह-रहकर कांग्रेस को सालता है. उस रैली में राजीव गांधी  (Rajiv Gandhi) का पूरा संबोधन इंदिरा गांधी की हत्या के इर्द-गिर्द ही था. दिल्ली समेत देश के अन्य हिस्सों में सिख विरोधी दंगों पर राजीव गांधी ने कुछ खास नहीं बोला. मनोज मित्ता और एचएस फुल्का अपनी किताब 'व्हेन अ ट्री शुक डेल्ही' में लिखते हैं कि, राजीव गांधी ने बोट क्लब की रैली में कहा, 'गुस्से में उठाया गया कोई भी कदम देश के लिए घातक होता है. कई बार गुस्से में हम जाने-अनजाने ऐसे ही लोगों की मदद करते हैं जो देश को बांटना चाहते हैं'. लेकिन इसके बाद उन्होंने जो कहा वो चौंकाने वाला था. उन्होंने आगे कहा, 'हमें मालूम है कि लोगों के अंदर कितना क्रोध है, लेकिन जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो आसपास की धरती हिलती है'.  

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इस बयान के बाद सिख समुदाय में राजीव गांधी के प्रति काफी नाराजगी बढ़ी. ऐसा माना गया कि राजीव की दंगाइयों के प्रति हमदर्दी थी और उन्होंने कत्लो-गारत को उतनी गंभीरता से नहीं लिया जिस रूप में लिया जाना चाहिए था. आज भी अक्सर विरोधी राजीव गांधी के इस बयान को कोट करते हैं और कांग्रेस के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं. यह बयान कांग्रेस के गले की हड्डी बन चुका है. 

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