पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
नरेंद्र मोदी सरकार को 'दिशाहीन' बताने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी की बीजेपी ने रविवार को कड़ी आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि वह 'अच्छे दिनों के दोस्त' हैं और शायद कोई पद नहीं पाने का 'असंतोष' व्यक्त कर रहे हैं।
पार्टी और उसके नेताओं का कहना है कि एक टेलिविजन इंटरव्यू में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सरकार की आर्थिक नीतियों, सामाजिक तनाव और विपक्षी दलों से संबंधों के बारे में जो बेवजह की टिप्पणियां की हैं, वे सब मोदी के प्रति 'कुछ कठोर' हैं।
बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने शौरी की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, 'किसी व्यक्ति को संभवत: अगर कोई शिकायत है, तो हो सकता है ऐसा कोई पद नहीं मिलने के कारण हो और वह बेवजह के मुद्दे बना रहा हो।'
वहीं केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, 'शौरी के एक विद्वान के रूप में, एक वरिष्ठ पत्रकार के रूप में और एक राजनीतिक पर्यवेक्षक के रूप में, मामलों पर उनके अपने विचार रहे हैं। लेकिन मुझे लगता है कि इस बार वह श्री मोदी के प्रति कुछ कठोर हैं।' सीतारमण ने कहा, 'यह कहना कि सरकार, खासकर आर्थिक मामलों में दिशाहीन है, इस प्रकार की टिप्पणी अत्याधिक निराशाजनक है।'
दरअसल, शौरी ने मोदी सरकार पर प्रहार करते हुए कहा है कि सरकार की आर्थिक नीतियां 'दिशाहीन' है, जबकि मौजूदा सामाजिक वातावरण अल्पसंख्यकों के मन में 'बड़ी बेचैनी' पैदा कर रहा है।
पत्रकारिता से राजनीति का सफर तय करने वाले 73 वर्षीय शौरी ने कहा कि मोदी का एक साल का शासन 'टुकड़ों में अच्छा' है और उनके प्रधानमंत्री बनने से विदेश नीति पर अच्छा असर पड़ा है, लेकिन अर्थव्यवस्था को लेकर किए गए वादे पूरे होते नहीं दिख रहे हैं।
उनका यह भी कहना है कि लगता है, सरकार सुर्खियां बटोरने के प्रबंधन में ज्यादा लगी है बजाय नीतियों को दुरूस्त करने के। हालात ऐसे हैं कि पज़ल के टुकड़े इधर-उधर पड़ें हैं और यह समझ नहीं आ रहा है कि उन्हें सही जगह कैसे बिठाया जाए।
पार्टी और उसके नेताओं का कहना है कि एक टेलिविजन इंटरव्यू में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सरकार की आर्थिक नीतियों, सामाजिक तनाव और विपक्षी दलों से संबंधों के बारे में जो बेवजह की टिप्पणियां की हैं, वे सब मोदी के प्रति 'कुछ कठोर' हैं।
बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने शौरी की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, 'किसी व्यक्ति को संभवत: अगर कोई शिकायत है, तो हो सकता है ऐसा कोई पद नहीं मिलने के कारण हो और वह बेवजह के मुद्दे बना रहा हो।'
वहीं केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, 'शौरी के एक विद्वान के रूप में, एक वरिष्ठ पत्रकार के रूप में और एक राजनीतिक पर्यवेक्षक के रूप में, मामलों पर उनके अपने विचार रहे हैं। लेकिन मुझे लगता है कि इस बार वह श्री मोदी के प्रति कुछ कठोर हैं।' सीतारमण ने कहा, 'यह कहना कि सरकार, खासकर आर्थिक मामलों में दिशाहीन है, इस प्रकार की टिप्पणी अत्याधिक निराशाजनक है।'
दरअसल, शौरी ने मोदी सरकार पर प्रहार करते हुए कहा है कि सरकार की आर्थिक नीतियां 'दिशाहीन' है, जबकि मौजूदा सामाजिक वातावरण अल्पसंख्यकों के मन में 'बड़ी बेचैनी' पैदा कर रहा है।
पत्रकारिता से राजनीति का सफर तय करने वाले 73 वर्षीय शौरी ने कहा कि मोदी का एक साल का शासन 'टुकड़ों में अच्छा' है और उनके प्रधानमंत्री बनने से विदेश नीति पर अच्छा असर पड़ा है, लेकिन अर्थव्यवस्था को लेकर किए गए वादे पूरे होते नहीं दिख रहे हैं।
उनका यह भी कहना है कि लगता है, सरकार सुर्खियां बटोरने के प्रबंधन में ज्यादा लगी है बजाय नीतियों को दुरूस्त करने के। हालात ऐसे हैं कि पज़ल के टुकड़े इधर-उधर पड़ें हैं और यह समझ नहीं आ रहा है कि उन्हें सही जगह कैसे बिठाया जाए।
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