राज्यसभा के लिए लखनऊ में नामांकन दाखिल करती प्रीति महापात्रा...
नई दिल्ली:
राज्यसभा की 58 में से बीजेपी कम से कम 17 सीटें जीत रही है। मगर पार्टी की नज़रें 5 और सीटों पर हैं, जहां वो पर्दे के पीछे मुक़ाबले में उतर आई है। सबसे दिलचस्प उत्तर प्रदेश है, जहां कांग्रेस के कपिल सिब्बल को रोकने के लिए पार्टी ने एक अरबपति की पत्नी को मैदान में उतारा है।
राज्यसभा के लिए यूपी से पर्चा भर रही प्रीति महापात्रा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समर्थक हैं और गुजरात के अरबपति कारोबारी की पत्नी हैं। उनके नामांकन पर बीजेपी और कुछ छोटी पार्टियों के विधायकों ने दस्तखत किए हैं। दरअसल, यूपी में राज्यसभा जीतने के लिए 34 वोट चाहिए और बीजेपी के पास अपने उम्मीदवार शिव प्रकाश शुक्ला को जिताने के बाद 7 वोट बचते हैं, जो प्रीति को दिए जाएंगे।
उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक का कहना है कि पार्टी अपने सरप्लस वोट सपा, बसपा या कांग्रेस को तो देने से रही। पर हम किसी के लिए मुक़ाबला मुश्किल नहीं बनाना चाहते।
लेकिन बीजेपी का इरादा कपिल सिब्बल का रास्ता रोकना है, जिन्हें पांच और वोट चाहिए। उत्तर प्रदेश में 11 सीटों के लिए चुनाव होना है और प्रीति समेत 12 उम्मीदवार मैदान में हैं।
इसी तरह बीजेपी ने कुछ और राज्यों में भी निर्दलीय या अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के विवेक तनखा को रोकने के लिए विनोद गोटिया को खड़ा किया गया। वहाँ जीत के लिए 58 वोट चाहिए। बीजेपी के पास 49 सरप्लस है, यानि उसे 9 वोट और चाहिए, जबकि कांग्रेस को जीत के लिए सिर्फ एक। वहां बीएसपी के चार और तीन निर्दलीय विधायकों पर बीजेपी की नज़रें हैं।
हरियाणा में बीजेपी ने मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा को समर्थन दिया है। वहां दो सीटों पर चुनाव हैं और जीतने के लिए 31 वोट चाहिए। बीजेपी के पास अपने उम्मीदवार चौधरी वीरेंद्र सिंह को जिताने के बाद 20 सरप्लस वोट रहेंगे, जबकि आईएनएलडी के पास 19 और कांग्रेस के पास 17 विधायक हैं। हालांकि आईएनएलडी ने आरके आनंद को समर्थन दे दिया है।
उत्तराखंड में भी बीजेपी ने उम्मीदवार उतार दिया है। वहां एक सीट पर चुनाव है। जीतने के लिए 31 वोट चाहिए। बीजेपी के पास 28 वोट हैं, जबकि कांग्रेस के पास 27 वोट। पीडीएफ़ के 6 वोट कांग्रेस को मिलने की संभावना है।
झारखंड में दूसरी सीट के लिए भी पार्टी का उम्मीदवार मैदान में है। वहां प्रदेश कोषाध्यक्ष महेश पोद्दार को टिकट दिया गया है। वहां जीत के लिए 28 वोट चाहिए, जबकि बीजेपी के पास 19 वोट सरप्लस हैं।
विपक्ष बीजेपी पर ख़रीद-फ़रोख़्त की तैयारी करने का आरोप लगा रहा है। 11 जून के चुनाव के बाद बीजेपी राज्यसभा में थोड़ी बेहतर स्थिति में आ जाएगी, हालांकि वो बहुमत के आंकड़े से बहुत पीछे बनी रहेगी।
राज्य सभा के चुनाव मैदान में बड़े कारोबारियों का उतरना कोई नई बात नहीं। जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, वहां विधायकों पर भी प्रलोभन में आने के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन ये जरूर है कि इस बार बीजेपी ने अपनी ताकत से ज्यादा सीटें जीतने के लिए बेहद चतुराई से रणनीति बनाई है, जिसकी कामयाबी के बारे में 11 जून को ही कहा जा सकेगा।
राज्यसभा के लिए यूपी से पर्चा भर रही प्रीति महापात्रा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समर्थक हैं और गुजरात के अरबपति कारोबारी की पत्नी हैं। उनके नामांकन पर बीजेपी और कुछ छोटी पार्टियों के विधायकों ने दस्तखत किए हैं। दरअसल, यूपी में राज्यसभा जीतने के लिए 34 वोट चाहिए और बीजेपी के पास अपने उम्मीदवार शिव प्रकाश शुक्ला को जिताने के बाद 7 वोट बचते हैं, जो प्रीति को दिए जाएंगे।
उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक का कहना है कि पार्टी अपने सरप्लस वोट सपा, बसपा या कांग्रेस को तो देने से रही। पर हम किसी के लिए मुक़ाबला मुश्किल नहीं बनाना चाहते।
लेकिन बीजेपी का इरादा कपिल सिब्बल का रास्ता रोकना है, जिन्हें पांच और वोट चाहिए। उत्तर प्रदेश में 11 सीटों के लिए चुनाव होना है और प्रीति समेत 12 उम्मीदवार मैदान में हैं।
इसी तरह बीजेपी ने कुछ और राज्यों में भी निर्दलीय या अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के विवेक तनखा को रोकने के लिए विनोद गोटिया को खड़ा किया गया। वहाँ जीत के लिए 58 वोट चाहिए। बीजेपी के पास 49 सरप्लस है, यानि उसे 9 वोट और चाहिए, जबकि कांग्रेस को जीत के लिए सिर्फ एक। वहां बीएसपी के चार और तीन निर्दलीय विधायकों पर बीजेपी की नज़रें हैं।
हरियाणा में बीजेपी ने मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा को समर्थन दिया है। वहां दो सीटों पर चुनाव हैं और जीतने के लिए 31 वोट चाहिए। बीजेपी के पास अपने उम्मीदवार चौधरी वीरेंद्र सिंह को जिताने के बाद 20 सरप्लस वोट रहेंगे, जबकि आईएनएलडी के पास 19 और कांग्रेस के पास 17 विधायक हैं। हालांकि आईएनएलडी ने आरके आनंद को समर्थन दे दिया है।
उत्तराखंड में भी बीजेपी ने उम्मीदवार उतार दिया है। वहां एक सीट पर चुनाव है। जीतने के लिए 31 वोट चाहिए। बीजेपी के पास 28 वोट हैं, जबकि कांग्रेस के पास 27 वोट। पीडीएफ़ के 6 वोट कांग्रेस को मिलने की संभावना है।
झारखंड में दूसरी सीट के लिए भी पार्टी का उम्मीदवार मैदान में है। वहां प्रदेश कोषाध्यक्ष महेश पोद्दार को टिकट दिया गया है। वहां जीत के लिए 28 वोट चाहिए, जबकि बीजेपी के पास 19 वोट सरप्लस हैं।
विपक्ष बीजेपी पर ख़रीद-फ़रोख़्त की तैयारी करने का आरोप लगा रहा है। 11 जून के चुनाव के बाद बीजेपी राज्यसभा में थोड़ी बेहतर स्थिति में आ जाएगी, हालांकि वो बहुमत के आंकड़े से बहुत पीछे बनी रहेगी।
राज्य सभा के चुनाव मैदान में बड़े कारोबारियों का उतरना कोई नई बात नहीं। जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, वहां विधायकों पर भी प्रलोभन में आने के आरोप लगते रहे हैं। लेकिन ये जरूर है कि इस बार बीजेपी ने अपनी ताकत से ज्यादा सीटें जीतने के लिए बेहद चतुराई से रणनीति बनाई है, जिसकी कामयाबी के बारे में 11 जून को ही कहा जा सकेगा।
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