नई दिल्ली:
सरकार की 'वन रैंक वन पेंशन' की घोषणा पर शनिवार को कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला। विपक्षी दल ने इसके प्रावधानों को पूर्व सैनिकों के साथ 'धोखा' बताया जबकि सत्तारूढ़ दल ने कांग्रेस पर सत्ता में रहने के समय पूर्व सैनिकों के साथ 'मजाक' करने का आरोप लगाया।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा विस्तृत ब्यौरा दिए बगैर पूर्व सैनिकों की लंबित मांग को पूरा करने के लिए केवल 500 करोड़ रुपये के आवंटन पर पिछली सरकार पर निशाना साधने के बाद पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने ओआरओपी से जुड़ी जानकारियों पर सरकार पर कटाक्ष किए।
एंटनी और एक अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'ओआरओपी घोषणा बहुत बड़ी निराशा है, क्योंकि पूर्व सैनिकों के लाभ के प्रावधानों को बहुत हल्का कर दिया गया है। यह उनके हितों के साथ धोखा है।'
जंतर मंतर पर आंदोलनरत पूर्व सैनिकों द्वारा रखी गई ओआरओपी से जुड़ी ज्यादातर बातों को खारिज किए जाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को 'अपनी पीठ थपथपाने' की बजाय इस पर 'चिंतन' करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि स्वेच्छा से पद छोड़ने वाले पूर्व सैनिकों को ओआरओपी के लाभों से हटाकर सरकार ने 46 प्रतिशत से अधिक सेवानिवृत्त रक्षाकर्मियों को वित्तीय लाभ से वंचित कर दिया।
सिब्बल ने कहा, 'यह पूर्व सैनिकों का अपमान है।' हालांकि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी नेताओं ने 'ऐतिहासिक' फैसले का श्रेय लिया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 के लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान पूर्व सैनिकों से किया वादा पूरा कर दिया है।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि उसकी सरकार ने 70 के दशक में पूर्व सैनिकों की पेंशन कम कर दी थी। उन्होंने पिछली यूपीए सरकार द्वारा ओआरओपी के लिए केवल 500 करोड़ रुपये के आवंटन की निंदा की। शाह ने संवाददाताओं से कहा कि बीजेपी सरकार ने पूर्व सैनिकों और बाद में सेवानिवृत्त होने वाले सैनिकों को आर्थिक सुरक्षा दी है।
वरिष्ठ बीजेपी नेता और केन्द्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने पूर्व सैनिकों से अपना आंदोलन खत्म करने का अनुरोध किया और इस मुद्दे का 'राजनीतिकरण' करने पर कांग्रेस की निंदा की।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर केन्द्र की निंदा करते हुए पूर्व सैनिकों के आंदोलन को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताया। गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने अहमदाबाद में ओआरओपी योजना के क्रियान्वयन की घोषणा की प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपना वादा पूरा किया है।
उधर, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने रांची में पूर्व सैनिकों की ओआरओपी की पुरानी मांग को पूरा करने के केन्द्र सरकार के फैसले का स्वागत किया।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा विस्तृत ब्यौरा दिए बगैर पूर्व सैनिकों की लंबित मांग को पूरा करने के लिए केवल 500 करोड़ रुपये के आवंटन पर पिछली सरकार पर निशाना साधने के बाद पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने ओआरओपी से जुड़ी जानकारियों पर सरकार पर कटाक्ष किए।
एंटनी और एक अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'ओआरओपी घोषणा बहुत बड़ी निराशा है, क्योंकि पूर्व सैनिकों के लाभ के प्रावधानों को बहुत हल्का कर दिया गया है। यह उनके हितों के साथ धोखा है।'
जंतर मंतर पर आंदोलनरत पूर्व सैनिकों द्वारा रखी गई ओआरओपी से जुड़ी ज्यादातर बातों को खारिज किए जाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को 'अपनी पीठ थपथपाने' की बजाय इस पर 'चिंतन' करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि स्वेच्छा से पद छोड़ने वाले पूर्व सैनिकों को ओआरओपी के लाभों से हटाकर सरकार ने 46 प्रतिशत से अधिक सेवानिवृत्त रक्षाकर्मियों को वित्तीय लाभ से वंचित कर दिया।
सिब्बल ने कहा, 'यह पूर्व सैनिकों का अपमान है।' हालांकि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी नेताओं ने 'ऐतिहासिक' फैसले का श्रेय लिया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 के लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान पूर्व सैनिकों से किया वादा पूरा कर दिया है।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि उसकी सरकार ने 70 के दशक में पूर्व सैनिकों की पेंशन कम कर दी थी। उन्होंने पिछली यूपीए सरकार द्वारा ओआरओपी के लिए केवल 500 करोड़ रुपये के आवंटन की निंदा की। शाह ने संवाददाताओं से कहा कि बीजेपी सरकार ने पूर्व सैनिकों और बाद में सेवानिवृत्त होने वाले सैनिकों को आर्थिक सुरक्षा दी है।
वरिष्ठ बीजेपी नेता और केन्द्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने पूर्व सैनिकों से अपना आंदोलन खत्म करने का अनुरोध किया और इस मुद्दे का 'राजनीतिकरण' करने पर कांग्रेस की निंदा की।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर केन्द्र की निंदा करते हुए पूर्व सैनिकों के आंदोलन को 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताया। गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने अहमदाबाद में ओआरओपी योजना के क्रियान्वयन की घोषणा की प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपना वादा पूरा किया है।
उधर, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने रांची में पूर्व सैनिकों की ओआरओपी की पुरानी मांग को पूरा करने के केन्द्र सरकार के फैसले का स्वागत किया।
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