प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
बर्ड फ्लू के एच5एन8 वायरस से लड़ने के लिए पशुपालन विभाग विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और उन देशों के संपर्क में है जहां इस वायरस ने भारत से पहले अपने पांव पसारे हैं.
बर्ड फ्लू से निपटने के लिए अब केंद्रीय कृषि मंत्रालय के पशुपालन विभाग ने डब्लूएचओ से संपर्क साधा है. इतना ही नहीं अपने राजदूतों के जरिए उन देशों के स्वास्थ्य विभाग से भी पशुपालन विभाग संपर्क में है जहां बर्ड फ्लू के एच5एन8 वायरस ने पिछले साल दस्तक दी. दरअसल यह वायरस भारत के लिए नया है. पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग के सचिव देवेंद्र चौधरी ने बताया कि हमने उन देशों से भी संपर्क साधा है जहां पिछले साल इस वायरस का प्रकोप था. यह जानने की कोशिश की कि उनका स्वास्थ्य मंत्रालय आखिर कैसे लड़ा. साथ ही दो नवंबर को देश के सभी राज्यों के पशुपालन विभागों के सचिव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए यह जानने के लिए जुड़ेंगे कि वे क्या-क्या कदम उठा रहे हैं.
देश में चार राज्य बर्ड फ्लू की चपेट में हैं और अब तक 115 पक्षियों की मौत हो चुकी है. इसके बाद पशुपालन विभाग ने एक कमेटी गठित कर दी. इस बारे में एक मीटिंग में तय किया गया कि इस रोग की प्रकृति, इसकी वजह और इसके खतरों पर शोध हो. डीडीजी एनिमल साइंस की अध्यक्षता में भी एक और कमेटी बनाई गई जो नजर रखेगी कि जहां से भी बर्ड फ्लू की खबर आए वहां उस पर काबू पाने के लिए प्रोटोकॉल का खयाल रखा जाए.
साथ ही सैंपलिंग को और बेहतर बनाए जाने को लेकर भी फैसले हुए.
वायरस नया है तो बिगड़े हालात के इलाज के लिए पहले बीमारी को समझना भी जरूरी है.
बर्ड फ्लू से निपटने के लिए अब केंद्रीय कृषि मंत्रालय के पशुपालन विभाग ने डब्लूएचओ से संपर्क साधा है. इतना ही नहीं अपने राजदूतों के जरिए उन देशों के स्वास्थ्य विभाग से भी पशुपालन विभाग संपर्क में है जहां बर्ड फ्लू के एच5एन8 वायरस ने पिछले साल दस्तक दी. दरअसल यह वायरस भारत के लिए नया है. पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग के सचिव देवेंद्र चौधरी ने बताया कि हमने उन देशों से भी संपर्क साधा है जहां पिछले साल इस वायरस का प्रकोप था. यह जानने की कोशिश की कि उनका स्वास्थ्य मंत्रालय आखिर कैसे लड़ा. साथ ही दो नवंबर को देश के सभी राज्यों के पशुपालन विभागों के सचिव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए यह जानने के लिए जुड़ेंगे कि वे क्या-क्या कदम उठा रहे हैं.
देश में चार राज्य बर्ड फ्लू की चपेट में हैं और अब तक 115 पक्षियों की मौत हो चुकी है. इसके बाद पशुपालन विभाग ने एक कमेटी गठित कर दी. इस बारे में एक मीटिंग में तय किया गया कि इस रोग की प्रकृति, इसकी वजह और इसके खतरों पर शोध हो. डीडीजी एनिमल साइंस की अध्यक्षता में भी एक और कमेटी बनाई गई जो नजर रखेगी कि जहां से भी बर्ड फ्लू की खबर आए वहां उस पर काबू पाने के लिए प्रोटोकॉल का खयाल रखा जाए.
साथ ही सैंपलिंग को और बेहतर बनाए जाने को लेकर भी फैसले हुए.
वायरस नया है तो बिगड़े हालात के इलाज के लिए पहले बीमारी को समझना भी जरूरी है.
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