बिहार (Bihar) में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के सोमवार के भाषण पर एक नया विवाद शुरू हो गया हैं. पहले उनके भाषण के दौरान लोकसभा में जेडीयू संसदीय दल के नेता राजीव रंजन उर्फ़ ललन सिंह का सोते हुए फ़ोटो वायरल हुआ, यह भाषण क़रीब तीन घंटे होने पर लोगों ने भी इसे उबाऊ कहा. राष्ट्रीय जनता दल यानी RJD नेता ने इस मामले में नीतीश पर निशाना साधा है. आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी, जो इन दिनों पार्टी कार्यक्रम से दूर रहते हैं, ने तो यहां तक कह डाला कि नीतीश ने अपने भाषण से तेजस्वी का क़द ऊंचा कर दिया और अपना क़द छोटा किया है.
बिहार: तेजस्वी ने नीतीश पर हमला बोला, कहा- आपने मेरे सवालों के जवाब नहीं दिए
मंगलवार को शिवानंद तिवारी (Shivanand Tiwari) ने एक बयान में कहा कि नीतीशजी कल 2 घंटा 53 मिनट बोले. भाषण इतना लंबा, थकाऊ और उबाऊ था कि उनके प्रिय ललन सिंह मंच पर सोते नजर आए. आजकल नीतीश कुमार लंबा-लंबा भाषण दे रहे हैं.याद होगा, इसके पहले गांधी मैदान में उनकी पार्टी की एक रैली हुई थी. बड़े जोर-शोर से उसका प्रचार हुआ था. रामचंद्र बाबू, यानी आरसीपी उस रैली के कर्ताधर्ता के रूप में दिखाई दे रहे थे. लेकिन आशा के विपरीत वह रैली बुरी तरह फेल हो गई थी. नीतीश कुमार ने उसके पहले कभी इतनी कम संख्या में उपस्थित लोगों को गांधी मैदान में संबोधित नहीं किया था, लेकिन इसके बावजूद उस रैली में भी उनका भाषण बहुत लंबा हुआ था.
शिवानंद ने आगे कहा, नीतीश कुमार के 2014-15 के भाषणों को याद कीजिए. तब नीतीश के प्रतिद्वंदी नरेंद्र मोदी हुआ करते थे. उन दिनों नीतीशजी का भाषण पंद्रह-बीस मिनटों का हुआ करता था. मुझे याद है, मैंने लिखा था कि नीतीश कुमार बोली में नरेंद्र मोदी पर भारी पड़ रहे हैं. नरेंद्र मोदी के समर्थकों को भी उनका भाषण प्रधानमंत्री के स्तर का नहीं लग रहा था. उसके विपरीत नीतीश उनके मुकाबले कहीं बेहतर ढंग से अपनी बातों को रख रहे थे, उनकी राजनीति का वह चरम था. वही काल था जब देश को नीतीश में प्रधानमंत्री की छवि दिखाई दे रही थी. नरेंद्र मोदी से बेहतर पीएम की छवि!
शिवानंद ने कहा कि कल नीतीश जी जब बोल रहे थे तो उनके सामने नरेंद्र मोदी नहीं, बल्कि तेजस्वी यादव थे. मोदी के सामने तो नीतीश आत्मविश्वास से लबरेज दिखाई देते थे. लेकिन तेजस्वी के सामने कल डगमगाए हुए लगे. इस लंबे भाषण में नीतीश जी में कभी भी आत्मविश्वास नज़र नहीं आया. और तो और अपने भाषण में वे अपने ही द्वारा स्थापित मर्यादा का उल्लंघन करते हुए परिवार के अंदर की उजागर बातों को ही उजागर कर रहे थे. शिवानंद के अनुसार, नीतीश जी कल खाली बर्तन की तरह ढन-ढना रहे थे. उनके दो घंटे 53 मिनट के भाषण में कोई मौलिकता नहीं थी. पिछले दो-तीन महीने का संजय सिंह या नीरज कुमार या संजय झा या अशोक वगैरह नीतीशजी की जिन कामों को गिनाते रहे हैं, लग रहा था कि नीतीश उन्हीं के संकलन का पाठ कर रहे हैं. कल के अपने भाषण से नीतीश जी ने तेजस्वी का कद बढ़ाया है और अपना कद छोटा किया है....
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