यह ख़बर 09 सितंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

बिहार पुलिस गोलियों की जगह काली मिर्च इस्तेमाल करेगी

पटना:

बिहार में सुरक्षा बलों के आधुनिकीकरण का काम जोरों पर है। हिंसक भीड़ पर नियंत्रण और उसे तितर-बितर करने के दौरान गोलीबारी से होने वाले घायलों की संख्या कम करने के लिए बिहार पुलिस ने कमर कस ली है। अब ऐसी स्थितियों में वह रबर बुलेट और काली मिर्च की गोलियों का इस्तेमाल करेगी।

बिहार पुलिस प्रमुख पीके ठाकुर ने कहा, "हिंसक भीड़ पर नियंत्रण और उसे तितर-बितर करने के लिए पेपर और पैलेट गन खरीदने की प्रक्रिया हमने शुरू कर दी है।"

ठाकुर ने कहा कि ऐसे 150 से ज्यादा पेपर और पैलेट गन खरीदने के लिए राज्य पुलिस ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा है। दंगे और अन्य हिंसक घटनाओं समेत कानून-व्यवस्था की गंभीर स्थितियों से निपटने के लिए इसका इस्तेमाल बिहार सरकार की दंगा रोधी अर्द्धसैनिक बलों द्वारा किया जाएगा।

एक अन्य पुलिस अधिकारी के मुताबिक, पेपर गन से सफेद काली मिर्च से भरे गोलों का एक गुच्छा निकलेगा, जिससे कुछ मिनट तक दंगाइयों की आंखों में जलन होगा। साथ ही इससे लगातार खांसी होगी।  

पेपर बुलेट को 150-200 गज की दूरी से दागा जा सकेगा। आंसू गैस के गोलों की तरह दंगाई इसे वापस पुलिस की तरफ नहीं फेंक पाएंगे।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "हमारा लक्ष्य घायल होने के जोखिम को कम करना है।"

बिहार देश का पहला राज्य है, जिसने केंद्रीय रिजर्व सुरक्षा बल के रैपिड एक्शन फोर्स की तर्ज पर अपने दंगा रोधी बल का गठन किया है।

उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरुआत में पटना में प्रदर्शन कर रहे बाढ़ पीड़ितों पर गोलीबारी के दौरान कम से कम छह लोग घायल हो गए थे। जबकि जुलाई में रोहतास और औरंगाबाद जिले में प्रदर्शनकारी गांव वालों को नियंत्रित करने के दौरान की गई गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई थी।

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एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "भीड़ पर रबर बुलेट की जगह गोलीबारी पर विपक्ष और मानवाधिकार कार्यकर्ता हमेशा पुलिस पर निशाना साधती रही है।"