ईवीएम मशीन की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली:
बिहार में विधानसभा चुनाव के आने के साथ ही वहां की जेडीयू सरकार इस कोशिश में है कि वो ज़मीन अध्यादेश को दोबारा जारी न करे और उसे अपने तय समय में समाप्त होने दे। जेडीयू इन चुनावों में आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर बीजेपी का सामना कर रही है।
अगर बिहार सरकार इस विवादास्पद अध्यादेश को लैप्स यानि अपने आप समाप्त होने देती है तो ये यूपीए सरकार द्वारा लायी गयी 2013 की ज़मीन अधिग्रहण बिल का यूटर्न होगा।
सरकार ने पहले ही 2013 में यूपीए सरकार द्वारा इस कानून में लाए गए सभी संशोधनों को हटाने का फैसला कर लिया था, ऐसा करने के दौरान बिहार में बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन था।
शुरुआत में सरकार इस बिल से पीछे हटने को तैयार नहीं थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपने स्टैंड में ये देखते हुए बदलाव किया किया कि ये बिल किसान विरोधी साबित हो सकता है और ये कि ये सरकार किसान विरोधी है।
सरकार के तमाम दावों के बाद कि विपक्ष इस बिल के बारे में गलत धारणाएं फैला रहा है, देशभर के किसानों ने विपक्ष के बैनर तले इस बिल के विरोध में विरोध प्रदर्शन किया था।
इसलिए सूत्रों के मुताबिक ऐसे समय में सरकार को लगता है कि इस अध्यादेश की स्वाभाविक मौत कहीं न कहीं बिहार में बीजेपी की ईमेज को फायदा पहुंचाएगी।
ज़मीन अध्यादेश बिल को लोकसभा ने इसी साल मार्च महीने में पास कर दिया था, लेकिन ये बिल राज्यसभा में अब तक पास नहीं हो पाया है जहाँ सरकार सहयोगी दलों ने भी इसको लेकर अपनी चिंता ज़ाहिर की है। इस बिल का मक़सद देशभर में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है।
पिछले बजट सत्र के दौरान सरकार ने पहली बार इस पर झुकते हुए बिल को दोनों सदनों की संयुक्त कमिटी में भेजने का निर्णय लिया है।
अगर बिहार सरकार इस विवादास्पद अध्यादेश को लैप्स यानि अपने आप समाप्त होने देती है तो ये यूपीए सरकार द्वारा लायी गयी 2013 की ज़मीन अधिग्रहण बिल का यूटर्न होगा।
सरकार ने पहले ही 2013 में यूपीए सरकार द्वारा इस कानून में लाए गए सभी संशोधनों को हटाने का फैसला कर लिया था, ऐसा करने के दौरान बिहार में बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन था।
शुरुआत में सरकार इस बिल से पीछे हटने को तैयार नहीं थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपने स्टैंड में ये देखते हुए बदलाव किया किया कि ये बिल किसान विरोधी साबित हो सकता है और ये कि ये सरकार किसान विरोधी है।
सरकार के तमाम दावों के बाद कि विपक्ष इस बिल के बारे में गलत धारणाएं फैला रहा है, देशभर के किसानों ने विपक्ष के बैनर तले इस बिल के विरोध में विरोध प्रदर्शन किया था।
इसलिए सूत्रों के मुताबिक ऐसे समय में सरकार को लगता है कि इस अध्यादेश की स्वाभाविक मौत कहीं न कहीं बिहार में बीजेपी की ईमेज को फायदा पहुंचाएगी।
ज़मीन अध्यादेश बिल को लोकसभा ने इसी साल मार्च महीने में पास कर दिया था, लेकिन ये बिल राज्यसभा में अब तक पास नहीं हो पाया है जहाँ सरकार सहयोगी दलों ने भी इसको लेकर अपनी चिंता ज़ाहिर की है। इस बिल का मक़सद देशभर में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है।
पिछले बजट सत्र के दौरान सरकार ने पहली बार इस पर झुकते हुए बिल को दोनों सदनों की संयुक्त कमिटी में भेजने का निर्णय लिया है।
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